इस एक तस्वीर ने...,
यादों के झरोखों से...,
इस एक तस्वीर ने,
मेरी ज़िंदगी की पूरी कायनात को समेट कर रखा है,
यूं तो वर्षों तक हम साथ थे,पर तुम्हारा दिया हुआ दुनियावी समान
चाकलेट, फूल,टैडी , या प्रेम पत्र जो तुमने मुझे कभी दिए ही नहीं...
बहुत याद आते हैं मुझे,...
वेशक हमारे बीच निब्बा निब्बी जैसे रुठने मनाने से लेकर खाना खाया जैसे बेबुनियाद सवालों का खज़ाना और ठिकाना दोनों ही नहीं था,...
न ही...
इस एक तस्वीर ने,
मेरी ज़िंदगी की पूरी कायनात को समेट कर रखा है,
यूं तो वर्षों तक हम साथ थे,पर तुम्हारा दिया हुआ दुनियावी समान
चाकलेट, फूल,टैडी , या प्रेम पत्र जो तुमने मुझे कभी दिए ही नहीं...
बहुत याद आते हैं मुझे,...
वेशक हमारे बीच निब्बा निब्बी जैसे रुठने मनाने से लेकर खाना खाया जैसे बेबुनियाद सवालों का खज़ाना और ठिकाना दोनों ही नहीं था,...
न ही...