...

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प्रेमिकांछल
लिखती आज सभी की प्रेम कहानी का अन्त
मान लेना कहनी बनी हूँ।।
क्या हाल होता उन सभी का जिसका प्रेम रह गया बस एक समाप्ति बन।
मुश्किल होती है न।
दुनिया मै सारा किसी को प्यार दे दिया। इतना नही
बस उसमे ज्यादा खो दिया ना।
किया था सब हाजिर अपने वक्त का किस्सा ।।
जो बोल न पाये खुद अपना हिस्सा जोड़ समझ दिया था उसको अपना पता।
अब गुम हो खो दिया ना खुद का घरबार।
हाँ प्यार किया था।।तुमने इकरार न मिला।
एक हिस्सा दिया था।।
अब वो ना मिले भी तो क्या।
क्या माँगते हो ?उसका चले जाने पर वहाँ जिन्दा रहना।
क्या मतलब ?जब तुम्हारे पास था तुम्हारा था क्या पूरा?
कोई बयां ना कर सकी।।बस टूटे दिल का हाल कहकर बताए।
ये अशिक़ कह्ना चाहे भी तो क्या?
कितना दर्द भरा है,उसे इतना पढ्ना भी कौन चाहे।
ऊब जाती दुनियाँ समझाती,पर पागल जैसे कान बन्द कर रखे हैं।
जीवन का सब कुछ छोड रखे हैं।
पर अभी क्या,दुनिया तो जी रहे हैं पहले भी जी रहे थे।
अभी भी तलाश हैं।।पहले भी थी किसीकी
फर्क बस इतना हैं।
पह्ले पास था कुछ अब वो तलाश में हैं।
ओर अब आज का भी जैसे तैसे चला हैं
जिया है ना काफी है ।।
लिखा उसने दर्द,अभी बाकी या अनादि हैं।
समझ का खेल सारा नहीं होता तो उदाहरण बनते हैं।
देखो प्यार में ये सब क्या कर बैठे हैं।
दुआ ना लिख पाये,फिर भी चेन नहीं।
उन्हे क्या कहे? खबर कहाँ उनकी जिसके अब सेर में नही।
पछताने की भी दुआ बर्बादी की आस भी कैसे हो?
उनके पास अभी हिस्सा बाकी है।
बस,अब तो देर उस वक्त की।।
जब उनका भी सारा हिस्सा चला जायेगा,
उनका भी एक हिस्सा छला जायेगा।
तब होगा मेरा,उनको हिस्सा नजर।
उनके पास रहेगा मेरा हिस्सा जिन्दा।।
बनकर उनका सबक।
यहीं इत्यादी।
प्रेमपूर्वक समाप्ति।।
© 🍁frame of mìnd🍁