माँ,,,
बिजली कडके बादल घनेरे चारो तरफ थे अन्धेरे
बरसात के उस मौसम मे मुझे जिसने सम्भाला था
PREEET डर होता था जब दिल मे बादल की गर्जन से
दौड़ कर मै फिर भाग जाता था माँ थी तो जिन्दगी मे उजाला था
आंधियों का था दौर भी आया हाल बुरे तन मिट्टी मे मिलाया
PREEET...
बरसात के उस मौसम मे मुझे जिसने सम्भाला था
PREEET डर होता था जब दिल मे बादल की गर्जन से
दौड़ कर मै फिर भाग जाता था माँ थी तो जिन्दगी मे उजाला था
आंधियों का था दौर भी आया हाल बुरे तन मिट्टी मे मिलाया
PREEET...