...

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ehsaas 🖤
मुझे रात सवर जाने को कहती है
नींद आंखों में ठहर जाने को कहती है
अजब सी बात थी जिसने मुझे महफूज रखा था
कोई आवाज़ है लेकिन बिखर जाने को कहती है

जरा आवाज दो मुझको मुझको कभी बुलाओ तो
गुलों के रंग बिखरे है कभी इनको सजाओ तो
अजब से ख़वाब है जिसमे मिली वो बेजुबानी है
कोई फ़रियाद है शायद ठहर जाने को कहती है

जरा देखो पलट कर तुम मचल कर सांस घुलती है
घुला वो आसमा देखो जहा से रात खिलती है
कोई अहसास धड़कन सा किसी दीवार पर उगता है
घुला है शाम से कोहरा गिरी कुछ बूंद सबनम सी

कही पर याद लम्हों की मिली ख़ामोश धड़कन सी
सजर से टूटते पत्ते सिमटती सांस लंबी सी
चले आना पलट कर तुम अगर आने को कहती है
शहर से भीगती पलके वो सदियों की जुदाई भी

वो आंखों में कटी सदियां वो माजी की गवाही भी
किसी आवाज का लहजा कोई ख़ामोश सा साहिल
यह तुम तक लौटती राहें निखर जाने को कहती है।

© Niharika_6