बोझ.....!
कविता अपने माता पिता की बहुत लाडली थी। तीन बडे भाईयों की बहन थी। कोई भी चीज मांगने पर उसी वक्त सामने हाजिर हो जाती। पूरे घर में रौब था उसका। पूरे परिवार ओर नौकरों पर राजकुमारी की तरह हुक्म चलाती थी कविता।
स्कूल में भी पूरा रौब था उसका। बडे घर की लाडली जो थी वह। ऐसे ही उसने कालेज में दाखिला लिया। उसके ठाठबाट, बडी गाड़ी में आना जाना, हर दिन नया फैशन देखकर हर कोई उससे दोस्ती करना चाहता था।
थोड़े ही दिनों में उसके बहुत से दोस्त बन गए। पूरे कालेज में उसकी अपनी ही एक पहचान थी। इन दिनों उसके घर एक रिश्ता आया। खानदानी लोग थे ओर पापा की पुरानी जान-पहचान थी उनके साथ। कविता के साथ कोई जबरदस्ती नहीं थी| पर कविता ने फिर भी हां कर दी, कयोंकि वह अपने परिवार से बहुत प्यार करती थी।
वह जानती थी कि वह लोग उसका अच्छा ही सोचेंगे। लडके का नाम राज था। राज काफी पढा लिखा ओर समझदार लडका था। ससुराल वाले भी बहुत अच्छे थे। ससुराल में कविता की जगह वैसी ही थी जैसी कि मायके में। कोई भी कार्य कविता की सलाह के बिना नहीं होता था। सबकी लाडली बहू बन गयी थी वह। फिर उसके घर एक बेटे का जन्म हुआ।
राहुल कविता को जान से प्यारा था। पोता पाकर ससुराल वाले तो फूले नहीं समाते थे। कविता...
स्कूल में भी पूरा रौब था उसका। बडे घर की लाडली जो थी वह। ऐसे ही उसने कालेज में दाखिला लिया। उसके ठाठबाट, बडी गाड़ी में आना जाना, हर दिन नया फैशन देखकर हर कोई उससे दोस्ती करना चाहता था।
थोड़े ही दिनों में उसके बहुत से दोस्त बन गए। पूरे कालेज में उसकी अपनी ही एक पहचान थी। इन दिनों उसके घर एक रिश्ता आया। खानदानी लोग थे ओर पापा की पुरानी जान-पहचान थी उनके साथ। कविता के साथ कोई जबरदस्ती नहीं थी| पर कविता ने फिर भी हां कर दी, कयोंकि वह अपने परिवार से बहुत प्यार करती थी।
वह जानती थी कि वह लोग उसका अच्छा ही सोचेंगे। लडके का नाम राज था। राज काफी पढा लिखा ओर समझदार लडका था। ससुराल वाले भी बहुत अच्छे थे। ससुराल में कविता की जगह वैसी ही थी जैसी कि मायके में। कोई भी कार्य कविता की सलाह के बिना नहीं होता था। सबकी लाडली बहू बन गयी थी वह। फिर उसके घर एक बेटे का जन्म हुआ।
राहुल कविता को जान से प्यारा था। पोता पाकर ससुराल वाले तो फूले नहीं समाते थे। कविता...