विश्वास
"क्या हुआ है? इतनी ख़ामोश क्यों हो? श्यामा ने पूछा
"कुछ नहीं?" गौरी बोली
"कुछ तो है.. इट्स ओके इफ डोंट वांट टू शेयर.." श्यामा ने लंच बॉक्स बंद करते हुए कहा।
" श्यामा मुझे लगता है कि कुछ गैप आ गया है मेरे और रवि के बीच में" गौरी ने खाना पूरा खाए बिना ही अपना बॉक्स बंद कर दिया।
"ऐसा क्यों लगा तुम्हें?" श्यामा ने पूछा
" मैं कुछ दिनों से देख रही हूं। देर से घरआते हैं ,अब पहले की तरह बातें नहीं करते ,
खाने पर भी बस नॉर्मल सी ही बातचीत होती है,
एक अजब सी खामोशी है, गहरी दूरी है अब दरम्यान ..." गौरी उदास स्वर में बोली।
"हो सकता है, ऑफिस में काम का बोझ बढ़ गया हो," श्यामा कुछ सोच कर बोली।
"अगर ऐसा है भी तो इसका मतलब यह तो नहीं कि अपनी पर्सनल लाइफ को नज़रंदाज़ कर दो" गौरी ने प्रश्न किया।
"एक बात बताओ.. जब तुम स्कूल का काम घर ले जाती हो तो क्या नॉर्मल दिनों की तरह सबके साथ हंस बोल पाती हो?"प्रश्न के जवाब में श्यामा ने प्रश्न पूछा।
"नहीं, पर मैं ये रोज तो नहीं होने देती,एक बैलेंस बना के चलती हूं।"...
"कुछ नहीं?" गौरी बोली
"कुछ तो है.. इट्स ओके इफ डोंट वांट टू शेयर.." श्यामा ने लंच बॉक्स बंद करते हुए कहा।
" श्यामा मुझे लगता है कि कुछ गैप आ गया है मेरे और रवि के बीच में" गौरी ने खाना पूरा खाए बिना ही अपना बॉक्स बंद कर दिया।
"ऐसा क्यों लगा तुम्हें?" श्यामा ने पूछा
" मैं कुछ दिनों से देख रही हूं। देर से घरआते हैं ,अब पहले की तरह बातें नहीं करते ,
खाने पर भी बस नॉर्मल सी ही बातचीत होती है,
एक अजब सी खामोशी है, गहरी दूरी है अब दरम्यान ..." गौरी उदास स्वर में बोली।
"हो सकता है, ऑफिस में काम का बोझ बढ़ गया हो," श्यामा कुछ सोच कर बोली।
"अगर ऐसा है भी तो इसका मतलब यह तो नहीं कि अपनी पर्सनल लाइफ को नज़रंदाज़ कर दो" गौरी ने प्रश्न किया।
"एक बात बताओ.. जब तुम स्कूल का काम घर ले जाती हो तो क्या नॉर्मल दिनों की तरह सबके साथ हंस बोल पाती हो?"प्रश्न के जवाब में श्यामा ने प्रश्न पूछा।
"नहीं, पर मैं ये रोज तो नहीं होने देती,एक बैलेंस बना के चलती हूं।"...