"नदी का समुद्र से प्यार"
हिमालय की अनन्य गोद में जन्मी मैं।
हठखेलियाँ करते हुए आगे बढ़ती हूँ।
मैं पर्वतों से गिरती हूँ तो झरनो का रूप ले लेती हूँ।
मैं अपने मोहब्बत से मीलने की चाह में अत्यन्त तेज प्रवाह में बहती हूँ।
यदि सामने कोई चट्टान खडा़...
हठखेलियाँ करते हुए आगे बढ़ती हूँ।
मैं पर्वतों से गिरती हूँ तो झरनो का रूप ले लेती हूँ।
मैं अपने मोहब्बत से मीलने की चाह में अत्यन्त तेज प्रवाह में बहती हूँ।
यदि सामने कोई चट्टान खडा़...