प्यार,मोहब्बत,इश्क़
इन आते जाते राहो में मुसाफिर है हम। कई मंज़िलों के सफ़र में उलझें वो अगर मगर है हम।
मोहब्बत इसी राहो का हिस्सा है वो बेवकूफी जैसा, बच्चों के किस्सों सा, एक अनकहा एक अनसुलझा सा मौसम है।
यहां रिश्तों को निभाने के नहीं उन्हे समेटने के वादे होते है पर कोई साथ रहने के वादे नहीं करता लेकिन इश्क़ की चाहत हर कोई रखता है। और इश्क़ के बाद भी इश्क़ रहता है।
हां इश्क़ के बाद भी इश्क़ रहता है, भले ही इंसान से धोखेबाज़ी होती है, भले ही वो झूठ बोलता है, पर इश्क़ में इश्क़ को ही छोड़ दिए तो वो इश्क़ कैसा जहां जिसे चाहा उसीको धोखा...
मोहब्बत इसी राहो का हिस्सा है वो बेवकूफी जैसा, बच्चों के किस्सों सा, एक अनकहा एक अनसुलझा सा मौसम है।
यहां रिश्तों को निभाने के नहीं उन्हे समेटने के वादे होते है पर कोई साथ रहने के वादे नहीं करता लेकिन इश्क़ की चाहत हर कोई रखता है। और इश्क़ के बाद भी इश्क़ रहता है।
हां इश्क़ के बाद भी इश्क़ रहता है, भले ही इंसान से धोखेबाज़ी होती है, भले ही वो झूठ बोलता है, पर इश्क़ में इश्क़ को ही छोड़ दिए तो वो इश्क़ कैसा जहां जिसे चाहा उसीको धोखा...