श्रापित हवेली और प्यार
Chapter 8 : रहस्य की दहलीज़ पर
हवेली की दीवारें सिसकियाँ भरती मालूम हो रही थीं। जैसे ही अनिका ने कटोरे से झांकते रहस्य को देखा, उसके रोंगटे खड़े हो गए। दृश्य इतना सजीव था कि उसे लगा, जैसे वह विक्रम और अवनी की दुनिया में खींची जा रही है।
कटोरे में विक्रम और अवनी के बीच एक तीखा संवाद चल रहा था। अवनी के चेहरे पर डर और दुख साफ झलक रहा था।
“विक्रम, तुम ये सब क्यों कर रहे हो? क्या तुम्हें पता है कि यह अनुष्ठान हमारी जिंदगी बर्बाद कर देगा?”
विक्रम ने उसकी बातों को अनसुना करते हुए एक किताब उठाई। यह वही किताब थी जिसे अनिका ने पहली बार हवेली के ग्रंथालय में देखा था।
“मुझे वह शक्ति चाहिए, जो मुझे अजेय बनाए। यह हवेली और इसमें छुपे रहस्य मेरे हैं। अवनी, तुम इसे नहीं समझोगी,” विक्रम ने ठंडे स्वर में कहा।
अनिका ने महसूस किया कि कटोरे में जो कुछ भी दिख रहा था, वह न केवल विक्रम और अवनी की कहानी थी, बल्कि उससे जुड़े हर शख्स की ।
कटोरे से अचानक रोशनी की एक किरण निकली और हवेली के एक कोने की ओर इशारा किया। वहाँ एक गुप्त दरवाजा था, जो अब तक उसकी नजरों से छिपा हुआ था।
" और कितने दरवाजे...
हवेली की दीवारें सिसकियाँ भरती मालूम हो रही थीं। जैसे ही अनिका ने कटोरे से झांकते रहस्य को देखा, उसके रोंगटे खड़े हो गए। दृश्य इतना सजीव था कि उसे लगा, जैसे वह विक्रम और अवनी की दुनिया में खींची जा रही है।
कटोरे में विक्रम और अवनी के बीच एक तीखा संवाद चल रहा था। अवनी के चेहरे पर डर और दुख साफ झलक रहा था।
“विक्रम, तुम ये सब क्यों कर रहे हो? क्या तुम्हें पता है कि यह अनुष्ठान हमारी जिंदगी बर्बाद कर देगा?”
विक्रम ने उसकी बातों को अनसुना करते हुए एक किताब उठाई। यह वही किताब थी जिसे अनिका ने पहली बार हवेली के ग्रंथालय में देखा था।
“मुझे वह शक्ति चाहिए, जो मुझे अजेय बनाए। यह हवेली और इसमें छुपे रहस्य मेरे हैं। अवनी, तुम इसे नहीं समझोगी,” विक्रम ने ठंडे स्वर में कहा।
अनिका ने महसूस किया कि कटोरे में जो कुछ भी दिख रहा था, वह न केवल विक्रम और अवनी की कहानी थी, बल्कि उससे जुड़े हर शख्स की ।
कटोरे से अचानक रोशनी की एक किरण निकली और हवेली के एक कोने की ओर इशारा किया। वहाँ एक गुप्त दरवाजा था, जो अब तक उसकी नजरों से छिपा हुआ था।
" और कितने दरवाजे...