मोती हो,तो पत्थरों से क्यों खेलना?
आज जब मैंने मेरे जीवन की थैली को टटोला, सहसा मुझे ग्यात हुआ कि यह तो भिन्न-भिन्न पत्थरों से पूर्ण है|कुछ बडे तो कुछ छोटे तथा नाना रंग से परिपूर्ण ऐसे पत्थरों से मेरी जिंदगी भरी पड़ी है |इनमें वो भी शामिल हैं जिन्होंने अपने प्रहार से मुझमें गहरे घाँव किए हैं और वे भी जो मेरे हर्ष में साथीदार बने हैं |
स्वर्ण जैसे परिवारवाले तथा गुरुजन तो मेरे संग थे ही जिन्होंने न केवल मेरे जीवन को सजाया, सँवारा बल्कि जीने का...
स्वर्ण जैसे परिवारवाले तथा गुरुजन तो मेरे संग थे ही जिन्होंने न केवल मेरे जीवन को सजाया, सँवारा बल्कि जीने का...