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पांच अजनबी औरतें और जंगल
शार्दियो की सुबह की धूप ,बिना कोहरे के साफ आसमान और पत्ते पत्ते पर ओस की चमकती बूंद घास के मैदान को खुशनुमा बना कर मानो पक्षियों की चहचाहट से सजीव कर दिया हो।
घास के मैदान के बीचों बीच पगडंडी नूमा रास्ता जिस पर चलते हुए रोमिला अपना स्कर्ट चुटकियों से पकड़ थोड़ा ऊपर उठाए सामने के रेत के टीले पर जा रही थी। इस खुशनुमा सुबह की ठंडी और सुकून देती ताजी हवा को लंबी सांस लेकर समेट लेना चाहती थी।
रोमिला को रोमा नाम ज्यादा पसंद था इसलिए वो अक्सर पूरा नाम बोलने वाले को टोक दिया करती थी और रोमा बोलने को कहने में झिझकती नही।
वो ऊंचाई पर पहुंच गई और चारो तरफ जितनी नजरे दौड़ा सकती थी उतनी दूर तक देखा दूर दूर तक जहां या तो कोई पहाड़ी बाधा बनी या फिर जमीन आसमान दोनो मिल रहे थे। पेड़ो के झुरमुट के बीच दूर एक तालाब जिस पर नीला आसमान। सब मिल कर आज एहसास दिला रहे थे कि यही स्वर्ग है।
शेष......