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देश हमारा, राज्य हमारा,समाज हमारा, लोग हमारे--- फिर भी देश की बेटी सुरक्षित नहीं!!!?
माना छोटे कपड़ों ने बदल दी नियत तुम्हारी, हवस की भूख तुम्हें नहीं रोक पाई।
२ महीने की बच्ची जो सिर्फ मां का आंचल समझाती, सोचकर क्या तुमने हवस की भूख उस पर मिटाई।
हैवानों ने ऐसी दरिंदगी दिखाई, रिश्तों ने तक इस पर मात खाई।
घर, अस्पताल, पुलिस चौकी, धार्मिक स्थलों में तक अब लड़कियां सुरक्षित नहीं, ओर क्या अब तुमने कसर छोड़ी।...