सिन्दूर औऱ गुलदस्ता प्यार का
हा ये सच हैं, बंजर ज़मीन थीं मैं। तुमनें अपनें प्यार के बारिश से मुझमें जान डाल दी, सिखाया मुझें तुमनें प्यार करना। पर वो तुम ही तों थें जिसने मेरी कोख में अपनें प्यार की निशानी दे कर अपनें कैरियर कों बनाने के लिए साथ मेरा छोर दिया औऱ जो बाहर नम आँखों से एक आस लिए...