भोर
बस तुम सोचते रहो।
अरे क्या हो गया,ऐसे ही उम्मीद नही हारी जाती।
एक छोटी सी लौ काफी है,अँधेरे को मिटाने के लिये।
तुम मेरी बात को समझने की कोशिस करो।
देखो गिर कर उठने वाले ही इतिहास बनाते है।
गिरने से डर...
अरे क्या हो गया,ऐसे ही उम्मीद नही हारी जाती।
एक छोटी सी लौ काफी है,अँधेरे को मिटाने के लिये।
तुम मेरी बात को समझने की कोशिस करो।
देखो गिर कर उठने वाले ही इतिहास बनाते है।
गिरने से डर...