चाँद और लहरें........
ए चाँद,
आज फिर तुम अकेले घूम रहे हो|तुम्हें तो चाहने वाले न जाने कितने तारे हैं जो तुम्हारे आसपास घूमते रहते हैं|फिर क्यों तुमने कभी किसी को अपने करीब नहीं आने दिया ? तुम्हें भी किसी से प्यार है?
आसमान में है तुम्हारा मेहबूब या ज़मीन पर रहने वाले किसी से तुम्हें मोहब्बत है,बताओ ना|
वैसे एक बात बताऊं देखा है मैंने लहरों को अक्सर तुम्हारी तरफ उठते हुए, तो क्या तुम...
आज फिर तुम अकेले घूम रहे हो|तुम्हें तो चाहने वाले न जाने कितने तारे हैं जो तुम्हारे आसपास घूमते रहते हैं|फिर क्यों तुमने कभी किसी को अपने करीब नहीं आने दिया ? तुम्हें भी किसी से प्यार है?
आसमान में है तुम्हारा मेहबूब या ज़मीन पर रहने वाले किसी से तुम्हें मोहब्बत है,बताओ ना|
वैसे एक बात बताऊं देखा है मैंने लहरों को अक्सर तुम्हारी तरफ उठते हुए, तो क्या तुम...