...

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एक पगली लड़की
अपने सौ गमों को परे रख
उसकी हर एक तकलीफ मिट जाए
ऐसी दुआ करता हूँ,

जी हां,
उसको मोहब्बत इस कदर करता हूँ
ख्वाबों मे भी दूर होती दिखे
उठ कर उसको फोन करता हूँ,

पर वो क्यों नहीं समझती
मैं उसे प्यार करता हूँ....!

शिकायतें लाखों रहती है मुझे उससे,
पर कोई उसका ज़िक्र भी करे तो
मैं बस उसकी तारीफें हि किया करता हूँ
ग्वारा नहीं मुझें की कोई
उसके इतना करीब आए
कमजोर वो ना पड़ जाए
इसलिए 'मैं हूँ ना' कह दिया करता हूँ,

वो पगली समझती क्यों नहीं
मैं उसे कितना प्यार करता हूँ....!

हज़ारों बोझ तले दबा हो बताऊंगा नहीं
पर उसकी आज़ादी के लिए
उसको जीना सिखाता था
लड़ाई के मज़ाक समझकर
मसला सुलझाकर उसे सीने से लगाता था
यूँ उसकी तरह उससे दूर जाने के बहाने नहीं करता हूँ

पर वो क्यों नहीं समझती है
मैं उससे कितना प्यार करता हूँ....!

सड़क पर चलते हुए
उसको सैफ साइड करता हूँ
यूँ वक़्त के मार से
इतना दूर होगी सोच के मन डरता है
यूँ तो महफूज़ रखने के वादे किये नहीं हमने
हमेशा निभाने का करता हूँ

वो क्यों नहीं समझती
मैं उसे कितना प्यार करता हूँ,....!

उसकी हर गलती की
आज भी माफी है मेरे पास
उससे बात करने को
हमेशा मैं तरसता था और तरसता हूँ
उसकी कमियां अपनाने की हिम्मत रखता हूँ

लेकिन वो क्यों नहीं समझती
मैं उससे कितना प्यार करता हूँ...!

परफेक्ट की बात करे कोई
तो मुझे उसका चेहरा दिखता हैं
देखने की तलब होती थी
उसको मैं बेवक़्त मिलता था
उन्ही पलो फिर जिने को तरसता हूँ

पर वो पगली क्यों नहीं समझती
मैं उसे कितना प्यार करता हूँ....!

आजमाईस क्यों करु मैं
उसकी जब खुदा से प्यार मांगता हूँ
शायद वो भी कह देगी एक दिन
वो भी अमृत से प्यार करती है
पता नहीं क्यों मुझे लगता है
वो भी मुझे खोने से डरती है

एक पागल सी लड़की है
जो मेरा प्यार नहीं समाझती है...!

अमृत....।
© अmrit...