...

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दर्द
सुरेश के अपने उसके पीछे पड़े रहते लगते नहीं थे अपने जैसे

सुरेश को पहले लगा वो बीमार है डॉक्टर से जांच करायी
इलाज चला पर फर्क तब तक ही होता था
जब तक इलाज चलता रहता बस तभी तक थोड़ा फर्क लगता था फिर वही बात

थोड़े दिन सब सही रहा फिर से
सुरेश की तबियत खराब हुई
चेस्ट मे दर्द, और तरह तरह की समस्या होने लगी
सुरेश रोने लगा क्योंकि उसके अपने जो की अब पराये थे वार पर वार करते थे

सुरेश ने कहा खुद से बहुत पीड़ा मे

मरने से पहले यू जिया जाए
मौत को भी सिखाया जाए जीते कैसे है


काफी दिन ऐसे ही चलता रहा
बहन ने पूछा क्या हुआ तुझे बुझा बुझा सा रहता है कुछ दिनों से

कोई जवाब नहीं मिलता
तुझे हुआ क्या है

फिर से कोई जवाब नहीं

क्या किसी ने कुछ कहा ?

कोई जवाब नहीं

ठीक है मैं अपने कमरे मे जा रही हूं बात करनी हो तो बता देना
रुको दीदी
अब क्या हुआ इतनी देर से पूछ रही तो चुप अब क्या हुआ ?

दीदी एक तो मुझे लड़की जैसा लगता
बार बार बीमार पड़ जाता
पहले मुझे लगता था बीमारी है इस्लिये जांच करायी दवा ली
पर असर तब तक ही होता था जब तक दवा चल रही होती वो भूल थोड़ा ही असर होता था

कुछ दिन तक सब सही रहा उसके बाद फिर मेरी तबियत बिगड़ी चेस्ट मे दर्द
और उल्टे हाथ मे मानो जान ही नयी

इतनी सब कुछ हो गया और तूने मुझे बताया भी नहीं तू खुद को कुछ मान पर दुःखी मत रह तेरी बहन के साथ दोस्त भी हूं
आपको दुःख होता जानकर

नहीं बतायी बात तो क्या इससे बहुत अच्छा करा
ये मत सोच की तू मुझे बस खुशी की ही बात बताये दुःख को नहीं बताये
पर तुझे कैसे पता पड़ा अपनों ने ही कुछ करा
मैंने सपना देखा था किसी रिश्तेदार ने कुछ खिलाया उसके कुछ समय बाद मेरी तबियत बिगड़ने लगी हर कभी बीमार रहने लगा
यूट्यूब पर भी सर्च करा उसमे कई वीडियो दिखे
की अचानक तबियत बिगड़ रहीं हैं बार बार
यानी कोई ऐसा जो जलता हो जो ज्यादातर अपने होते
उपाय धूप-बत्ती बतायी
क्योंकि कोई भी चीज सुगंध के जरिए नहीं फैल सकती
दीदी अब भी तंत्र होता पर अब उतना एहसास नहीं होता शायद उन वीडियो ने मदद की

ठीक है पर तू अब बात पहले बताना ताकि बहन और दोस्त बनकर मदद कर सकू

जी दीदी पक्का अगली बार से बात बताऊँगा
ये हुई ना बात खुद को अकेला मत समझना
मैं हूं माँ पिताजी है तेरे साथ
यद्यपि उन्हें नौकरी के कारण कम समय मिलता क्योंकि उनकी नौकरी दूसरे शहर मे है इसलिए मम्मी पापा सप्ताह के अंत मे आते एक दिन रहते वापस चले जाते

मम्मी पापा बस होली के दिन पहले से होली तक रुक पाते
इसलिए तू अब ज्यादा सोचना मत मैं हूं ना तेरे साथ हर संभव कोशिश करुँगी तुझे मजबूत बनाने की

थैंक्स दीदी और मेरी दोस्त अब अच्छा फील हो रहा है

मिहिका बस मुस्कुरा दी ।

समाप्त
21/5/2024
11:07 रात्रि
© ©मैं और मेरे अहसास