...

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dear hopes..🤞🏻
प्रिय उम्मीद,,
आप खुदमे थोड़ा बदलाव लाइए
आपकी कदर कम हो गई है,,
समाज के रंगरूप,तौर तरीके
व नजरिया, आपके प्रति बेहद निराशजनक हुआ करती है, उनकी दृष्टिकोण से ऐसा प्रतीत होता है कि आपमें किसी बदलाव की आवश्यकता है, ऐसा हम नही आज का समाज कह रहा है, हमने तो बस अनुभूत किया है,,
ये भी जानता और मानता हूं कि बदलाव की आवश्यकता आपमें नही बल्कि हम इंसानों में ही है,
परंतु हम इंसानों से गलतियां ही कहां हुआ करती है,
कभी सामने वाले की गलती,तो कभी किसी और की,
जब कोई नही मिलेगा तो बनाने वाले ईश्वर की भी गलती हो जाया करती है, बस कुछ भी करके हम मानव निर्दोष हैं,

इन नादानो को तनिक खबर तक भी नही कि हम उम्मीदों से घिरे हुए हैं पंछी हैं
यहां एक सांस छोड़ी जाती है तो तुरंत वापस दूसरी सांस लेने के लिए
लेकिन नही उम्मीद कुछ नही हुआ करती, ये तो बस एक धोखा है जो हमेशा टूट जाया करती है,,

अधूरी दास्तां है एक पूरी करता हूं
अभी के लिए इतना काफी है,,,
🤞🏻🤞🏻