अबके गंगा
जितेंद्र शर्मा सोज
अबके जो गंगा के तट पर तुम आओ
तो एक नहीं कई डुबकीया लगाना
जाने कितनी वेदनाए छुपाकर रखी है मेने
हर डुबकी मे ध्यान लगा कर जरा सुनना
मेने अपने अंदर दो मुट्ठी...
अबके जो गंगा के तट पर तुम आओ
तो एक नहीं कई डुबकीया लगाना
जाने कितनी वेदनाए छुपाकर रखी है मेने
हर डुबकी मे ध्यान लगा कर जरा सुनना
मेने अपने अंदर दो मुट्ठी...