शीर्षक -----पलकी की खुशियाँ
पलकी आज बड़ी खुश हो क्या बात है?
जो इतना मुस्कुरा रही हो कहीं कोई खजाना तो हाथ नही लग गया है।
जैसे ही पलकी के पति राघव ने कहा तो पलकी मुस्कुराते हुए अपनी हँसी को छुपाते हुए।
अरे कुछ नही बस ऐसे ही।
चलो आप भी न क्या बातें लेकर बैठ गए हो मुझे बहुत काम है।
आप तो रहने ही दो।
आप से कुछ नही होता है और आप न ऐसे बीच में मुझे बातों में मत उलझाओ।
दीपावली आ गई है और आप यहाँ बैठ कर गप्पे मार रहे हो।
दीपावली मे पता है मेरे गावं मे कितने काम होते थे।
एक मिनट बैठने की फुरसत नही मिलती थी।
सब लोग बस काम काम करते रहते थे दीपावली न होकर कामावली हो गया है।
पलकी हँसते हुए कहती है।
तभी पलकी के बेटे ने ठुनकते हुए।
मम्मा मुझे पटाखे लाने हैं आप तो बस काम काम करते रहती हो।
स्कूल से आते ही वो नखरे दिखाने लगा।
पलकी अरे बेटा अपने पापा को बोलो न पटाखे लाने मुझे बहुत काम है।
दीपावल भी आ गई है और हमारा काम खत्म होने का नाम ही नही है ले रहा है।
एक अकेले जान और इतना सारा काम वो भी अकेले मुझे तो कुछ समझ नही आता है कैसे करूँ।
जा तू अपने पापा के साथ तब तक मैं अपना काम खत्म कर लूँगी फिर कल दीपावली भी है तो हमे एक मिनट की फुर्सत नही मिलेगी।
पलकी नकली गुस्सा दिखाते हुए।
अरे आप सब भी कुछ काम कर लो क्या दिनभर मोबाइल मे घुसे रहते हो।
हमे तो लगता ही नही है की अब हम सब कोई तीज त्योहार दिल से मानते है।
इस छोटी सी डिब्बे ने हम सब का सुख चैन चुरा लिया है।
जिसे देखो सब इसी मे डूबा रहता है।
एक हम सब थे दीपावली से पहले हम सब दीपावली मनाने के लिए पागल बने फिरते थे,
और एक ये शहर वाले इस ट्रैन के डिब्बे में घुसे रहते हैं।
पलकी को पता था सबको अपने अपने काम पर लगाने का यही तरीका काम करेगा नही तो सब बस इस छोटे से डिब्बे से निकलने से रहे,
उसे पता था सबसे काम कैसे करना है तभी तो त्योहार का मज़ा आयेगा।
नही तो शहरों मे दो कमरे मे बंद रहकर दुनिया ही सिमट गई है न आस पड़ोस के पास समय न हमारे पास सब खुद को कितना व्यस्त रखने लगे हैं,।
पलकी अपने गावं और अपने रहन सहन को याद करके थोड़ी सी उदास हो जाती है।
वो हर दीपावली पर थोड़ी सी भावुक हो जाती थी,
ये तो उसकी पुरानी आदत थी जो हमेशा उसे अपने गावं की याद दिला जाती थी।
तभी राघव अब तुम्हारी राम कहानी खत्म हो गई हो तो हम बाजार जाएँ नही तो फिर तुम हमे और इस छोटे से ट्रैन के डिब्बे के साथ अपने गावं की दिवाली की कहानी का ताना दोगी।
पलकी गुस्से मे अरे आप भी न अपने बचपन के दिन को कभी कभी जिया तो करो क्या मशीन...
जो इतना मुस्कुरा रही हो कहीं कोई खजाना तो हाथ नही लग गया है।
जैसे ही पलकी के पति राघव ने कहा तो पलकी मुस्कुराते हुए अपनी हँसी को छुपाते हुए।
अरे कुछ नही बस ऐसे ही।
चलो आप भी न क्या बातें लेकर बैठ गए हो मुझे बहुत काम है।
आप तो रहने ही दो।
आप से कुछ नही होता है और आप न ऐसे बीच में मुझे बातों में मत उलझाओ।
दीपावली आ गई है और आप यहाँ बैठ कर गप्पे मार रहे हो।
दीपावली मे पता है मेरे गावं मे कितने काम होते थे।
एक मिनट बैठने की फुरसत नही मिलती थी।
सब लोग बस काम काम करते रहते थे दीपावली न होकर कामावली हो गया है।
पलकी हँसते हुए कहती है।
तभी पलकी के बेटे ने ठुनकते हुए।
मम्मा मुझे पटाखे लाने हैं आप तो बस काम काम करते रहती हो।
स्कूल से आते ही वो नखरे दिखाने लगा।
पलकी अरे बेटा अपने पापा को बोलो न पटाखे लाने मुझे बहुत काम है।
दीपावल भी आ गई है और हमारा काम खत्म होने का नाम ही नही है ले रहा है।
एक अकेले जान और इतना सारा काम वो भी अकेले मुझे तो कुछ समझ नही आता है कैसे करूँ।
जा तू अपने पापा के साथ तब तक मैं अपना काम खत्म कर लूँगी फिर कल दीपावली भी है तो हमे एक मिनट की फुर्सत नही मिलेगी।
पलकी नकली गुस्सा दिखाते हुए।
अरे आप सब भी कुछ काम कर लो क्या दिनभर मोबाइल मे घुसे रहते हो।
हमे तो लगता ही नही है की अब हम सब कोई तीज त्योहार दिल से मानते है।
इस छोटी सी डिब्बे ने हम सब का सुख चैन चुरा लिया है।
जिसे देखो सब इसी मे डूबा रहता है।
एक हम सब थे दीपावली से पहले हम सब दीपावली मनाने के लिए पागल बने फिरते थे,
और एक ये शहर वाले इस ट्रैन के डिब्बे में घुसे रहते हैं।
पलकी को पता था सबको अपने अपने काम पर लगाने का यही तरीका काम करेगा नही तो सब बस इस छोटे से डिब्बे से निकलने से रहे,
उसे पता था सबसे काम कैसे करना है तभी तो त्योहार का मज़ा आयेगा।
नही तो शहरों मे दो कमरे मे बंद रहकर दुनिया ही सिमट गई है न आस पड़ोस के पास समय न हमारे पास सब खुद को कितना व्यस्त रखने लगे हैं,।
पलकी अपने गावं और अपने रहन सहन को याद करके थोड़ी सी उदास हो जाती है।
वो हर दीपावली पर थोड़ी सी भावुक हो जाती थी,
ये तो उसकी पुरानी आदत थी जो हमेशा उसे अपने गावं की याद दिला जाती थी।
तभी राघव अब तुम्हारी राम कहानी खत्म हो गई हो तो हम बाजार जाएँ नही तो फिर तुम हमे और इस छोटे से ट्रैन के डिब्बे के साथ अपने गावं की दिवाली की कहानी का ताना दोगी।
पलकी गुस्से मे अरे आप भी न अपने बचपन के दिन को कभी कभी जिया तो करो क्या मशीन...