#विजय_दशमी (#समन्वय_और_बौद्धिक_स्वतंत्रता )
सवाल यह है कि,
दमन उत्पीड़न और अत्याचार से कैसे बचें ?
भारतियों को यह जानना और समझना जरूरी है, क्योंकि हम मध्यकालीन युग में लगभग एक हजार वर्ष तक दमन और उत्पीड़न के विरुद्ध युद्धरत रहे । अपनी क्षमताओं के अनुरूप हम अत्याचारी शक्ति से निरंतर लोहा लेते रहे, क्योंकि हम भारतीय को शत्रु बोध था। हम युद्ध के मैदान में विजय रहे और पराजित भी हुए।
परन्तु हमने हर्दय से पराजय कभी भी, किसी भी परिस्थिति में स्वीकार नहीं की, क्योंकि हमें स्वतंत्रता अति प्रिय है, और हमें किसी भी मूल्य पर पराधीनता स्विकार नहीं है।
इसीलिए हम अपने राष्ट्र और संस्कृति की रक्षा कर पाए। वरना हम भी विश्व की दूसरी सभ्यताओं की भांति इतिहास के पन्नों में सिमट कर रह जाते।
विधि के विधान से हम भारतीय बड़े सौभाग्यशाली हैं, कि हमने इस पवित्र भूमि पर जन्म लिया। जिसका इतिहास युगों पुराना और इसकी स्वर्णिम संस्कृति मनुष्यता और मानवता का परिचायक है।
हमारी संस्कृति का मुख्य आधार धर्म है। जो...
दमन उत्पीड़न और अत्याचार से कैसे बचें ?
भारतियों को यह जानना और समझना जरूरी है, क्योंकि हम मध्यकालीन युग में लगभग एक हजार वर्ष तक दमन और उत्पीड़न के विरुद्ध युद्धरत रहे । अपनी क्षमताओं के अनुरूप हम अत्याचारी शक्ति से निरंतर लोहा लेते रहे, क्योंकि हम भारतीय को शत्रु बोध था। हम युद्ध के मैदान में विजय रहे और पराजित भी हुए।
परन्तु हमने हर्दय से पराजय कभी भी, किसी भी परिस्थिति में स्वीकार नहीं की, क्योंकि हमें स्वतंत्रता अति प्रिय है, और हमें किसी भी मूल्य पर पराधीनता स्विकार नहीं है।
इसीलिए हम अपने राष्ट्र और संस्कृति की रक्षा कर पाए। वरना हम भी विश्व की दूसरी सभ्यताओं की भांति इतिहास के पन्नों में सिमट कर रह जाते।
विधि के विधान से हम भारतीय बड़े सौभाग्यशाली हैं, कि हमने इस पवित्र भूमि पर जन्म लिया। जिसका इतिहास युगों पुराना और इसकी स्वर्णिम संस्कृति मनुष्यता और मानवता का परिचायक है।
हमारी संस्कृति का मुख्य आधार धर्म है। जो...