...

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अंतिम.…....
जो मुझे चीन्हते हैं मेरी देह से,
जो मुझे जानते हैं मेरे मुख से,
जो मुझे देखते हैं, मेरे देखने की वस्तुओं में...

सुनें,
मेरी देह शरीर त्याग रही हो या
वह जिस भी बहाने से छुड़ा ले
अपना हाथ जीवन से मेरे
जब मुझे कर दे मृत घोषित
तो आप आइएगा
कहिएगा मेरे सगे संबंधियों से
जितना भी समय लगे
जो भी यत्न करने पड़ें
विलाप में समय न गँवाएँ
मुझे बनारस ले आएँ
मणिकर्णिका घाट..

किसी को भेज कर मँगवा लें
साजो सामान फूल रजनीगंधा के,
सुंदर-सी माला बनाएँ और मेरे गले में पहना दे.

जब मुझे अग्नि दिलाई जाए तो
मेरे हृदय के पास मेरे माँ पिता की
तस्वीर रख दें और उनकी अनंत यादें
की नए जीवन में फिर से उनका बेटा बनू..

मेरे बिस्तर पर सिरहाने ही रखी होगी एक सफ़ेद जिल्द वाली डायरी जिसे मैं छुपाता रहा सबसे सुंदर कविताओं को लिखने के लिए जिसमे मैने उतारा था मेरे जीवन की कुछ तस्वीरें शब्दो में.

और आख़िर में देखिए भूल न जाएँ
मेरी अस्थियों को गंगा में बहा कर
मुझे मेरे जीवन से अमर कर दे.!!