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सफ़रनामा- पुष्कर की गलियाँ और मेरी तन्हाई…
सफ़रनामा- पुष्कर की गलियाँ और मेरी तन्हाई ….

पुष्कर की गलियों में बैठा हूँ, अभी अभी कोई भाई अपनी गाड़ी घुमाकर मेरे क़रीब आया है और मेरी हेट के लिए पूछ रहा है की हुकुम आपकी ये हेट कहाँ मिल सकती है….

मैंने उसको बता दिया है की डिकेथलोन पर ऐसी हेट मिल जाएगी….भाई जवाब से संतुष्ट नहीं लग रहा है और कह रहा है कि नहीं डिकेथलोन वाली हेट ऐसी नही है…ख़ैर, भाई के सर के बाल भी मेरी ही तरह बड़े बड़े हैं शायद इन्हीं के चलते वो गाड़ी घुमाकर लौटा है …

मेरी और मेरी हेट की दो-तीन तस्वीरें खींच कर भाई लौट रहा है….गाड़ी के पिछले मडगार्ड पर राठौड़ लिखा है…

अक्सर मेरी ज़ुल्फ़ें और मेरी टोपी लोगों को मेरी ओर लौट आने पर मजबूर कर देती हैं….समय गुजर जायेगा पर ये छोटे छोटे लम्हे कहीं छप कर रह जाएँगे इस ज़हन में….मैं अभी भी बैठा हूँ कहीं इस पुष्कर की गलियों में….शायद कभी इन लोगों की तरह वो गुज़रा हुआ वक्त भी लोट जो गुजर गया है ख़ुद की तलाश में…

पुष्कर की गलियाँ और मेरी तन्हाई
✍️ विक्की सिंह
© theglassmates_quote