अधूरा....
सूनी सी वो रात थीं, चांद भी अकेला बादलों से घिरा अपनी चांदनी से जुदाई का शोक मना रहा था कि तभी गाड़ी चलाती स्वाती की नज़र सामने आ रही दूसरी गाड़ी पे पड़ी, और बचाव के बावजूद एक जोर दार टक्कर।
गनीमत थी के किसी को भारी चोट नहीं लगी थी, केवल गाड़ी के बोनट टूट के बिखर गए थे। ऋषभ गुस्साई में बाहर निकलते ही स्वाती की गाड़ी का दरवाज़ा खोलता है के ज़ोर से एक थप्पड़ लगाए वाहनचालक को, पर सहसा वो दंग रह जाता है।
"इतनी रात गए एक अकेली लड़की नशे की हालत में!" ऋषभ चौंकता हुआ ख़ुद से कहता है।
स्वाती एक्सीडेंट की वजह से बेहोश थी और उसका सर स्टेयरिंग से टकराया हुआ था। कोहरे की वजह से चेहरा साफ नहीं दिख रहा था। गाड़ी में बीयर बॉटल्स पड़ी थी।
ऋषभ उस अंजान लड़की को होश में लाने की कोशिश में जैसे ही हिलाता है, "स्वाती......!" (अचंभे में)
"ये कैसे,?... ये स्वाती...?.......
गनीमत थी के किसी को भारी चोट नहीं लगी थी, केवल गाड़ी के बोनट टूट के बिखर गए थे। ऋषभ गुस्साई में बाहर निकलते ही स्वाती की गाड़ी का दरवाज़ा खोलता है के ज़ोर से एक थप्पड़ लगाए वाहनचालक को, पर सहसा वो दंग रह जाता है।
"इतनी रात गए एक अकेली लड़की नशे की हालत में!" ऋषभ चौंकता हुआ ख़ुद से कहता है।
स्वाती एक्सीडेंट की वजह से बेहोश थी और उसका सर स्टेयरिंग से टकराया हुआ था। कोहरे की वजह से चेहरा साफ नहीं दिख रहा था। गाड़ी में बीयर बॉटल्स पड़ी थी।
ऋषभ उस अंजान लड़की को होश में लाने की कोशिश में जैसे ही हिलाता है, "स्वाती......!" (अचंभे में)
"ये कैसे,?... ये स्वाती...?.......