...

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तेरी मेरी कहानी
ठंडी ने बदन जकड़ रखा था।
और मैने कंबल ओढा और हाथों में
फोन पकड़ रखा था।।

मैने तो बस दिल को बहलाने के लिए किसी अजनबी की बातो का जवाब दिया था ।

क्या पता था, किस्मत की कुछ और ही साजिशे हो रही हैं और एक अजनबी को मेरी जिंदगी में लाने की कोशिशें हो रही हैं।।

सारी रात बाते हुई , कुछ उसने सुनाई कुछ मैने कहीं,
बस इसी था बातो का सिलसिला बढ़ता गया ।
और मुझपे उसके लफ्जों का असर चढ़ता गया।।

रोका नहीं बात करने से उसको , क्योंकि
मैने सोचा किसी से सिर्फ
बाते करना , गलत नहीं है।
बस यही कहकर दिल को तसल्ली दी ,
और बातो को आगे चलने दी ।

पता नहीं उसमें ऐसा क्या था ।
लेकिन मुझे भी बात करने में मजा आ रहा था
दिमाग बार बार कह रहा था ये इंसान कुछ सही नहीं,
और एक दिल है की उसकी तरफ खींचा चला जा रहा था ।

ओए मन ..............सुन ,
बाते हो...