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तरीका
स्वप्नदीप किसी कंपनी में मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव का जॉब करता था। वह जिस डॉक्टर से मिलने के लिए जाता था वह हर समय अपने मोबाइल फोन में ही लगा रहता था ऐसा उसने अपने मैनेजर से सुना था और आज उसने देख भी लिया। डॉक्टर मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव से अपॉइंटमेंट पे ही मिलता था और एक दिन में केवल पांच मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव को ही अपांईमेंट देता था ।एक दिन बड़ी मुश्किल से स्वप्नदीप को उस डॉक्टर का अपॉइंटमेंट मिला वह भी सबसे लास्ट में उसका नंबर था । जब स्वप्नदीप डॉक्टर के केबिन में गया तब उसने देखा डॉक्टर अपने फोन में व्यस्त था ना तो उसने स्वप्नदीप को नजर उठा कर देखा और ना ही उसकी बातें सुनी । स्वप्नदीप आया अपने समयानुसार अपने प्रोडक्ट के बारे में बात किया और समय खत्म होने पर वापस चला गया ।डॉक्टर का कोई रिएक्शन नहीं था अगले दिन स्वप्नदीप फिर से आया और इस बार में उसका अपॉइंटमेंट पहले नंबर का था। पहले नंबर का अपॉइंटमेंट उसने यह सोच कर लिया था कि शायद डॉक्टर साहब मेरी बात सुन ले। पर हुआ उसकी सोच का ठीक विपरीत। जैसे ही स्वप्नदीप केबिन में दाखिल हुआ डॉक्टर का वही हाल अपने स्वभावनुसार वो अपने फोन में व्यस्त थे। स्वप्नदीप फिर आया अपने प्रोडक्ट के बारे में बात किया और चला गया ।डॉक्टर ज्यों का त्यों बना रहा ना तो उसने स्वप्निल की तरफ देखा और ना ही कुछ रिएक्ट किया। अब तो स्वप्न दीप सोच में पड़ गया अगर यही हाल रहा तो डॉक्टर मेरी ब्रांड का मेडिसिन लिखेंगे नहीं और जब दवाई नहीं लिखेंगे तो मेरा टारगेट कैसे होगा और टारगेट नहीं होगा तब तो मेरे लिए बहुत मुश्किल हो जाएगी मैनेजर सर मुझे बहुत डांटेंगे और शायद मेरी नौकरी भी चली जाएगी।
यही सब सोच कर वह थोड़ा उदास परेशान हो रहा था। मग़र फिर उसने सोचा एक और बार जाकर देखा हूं और इस बार तीसरे नंबर का अपॉइंटमेंट लेता हूं ठीक अपनी सोच अनुसार ही उसने तीसरे नंबर का अपॉइंटमेंट लिया और डॉक्टर के केबिन में दाखिल हुआ इस बार उसने पहले की तरह ना तो अपने प्रोडक्ट के बारे में बताया और ना ही कुछ और बात की अपने बैग से उसने दवाई का सैंपल निकला उसके पास दो सैंपल था एक टैबलेट का और दूसरा सिरप का स्वप्नदीप ने एक हाथ में टैबलेट का सैंपल और दूसरे हाथ में सिरप का टैबलेट लिया और उसने सीधे डॉक्टर से पूछा सर यह दवाई है आप कौन सा लिखना चाहेंगे सिरप का या टैबलेट का डॉक्टर ने बिना स्वप्नदीप की तरफ देखें ही सिरप कहकर अपने फोन में लग गया स्वप्नदीप चुपचाप वहां से चला गया और अगले दिन से डॉक्टर ने उसकी ब्रांड की दवाइयां लिखनी शुरू कर दी।
कहने का तात्पर्य हमें कभी भी हर नहीं माननी चाहिए आखिर कोई कब तक हमें मना करेगा आज नहीं तो कल हमारी भी सुनेगा । अगर लगातार प्रयास करने के बावजूद भी कामयाबी नहीं मिल रही है तो अपने कर्तव्य से मुंह मत मोरिएं बल्कि अपने कर्तव्य निभाने का तरीका बदल दीजिए..!!
किरण