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प्यार या संस्कार part2 end
सोनी के पिता जी उसे गुस्से से पूछाते है की वो आज किस लड़के के साथ घूम रही थी उसने बोल किसी के साथ नही। फ़िर वो जोर से चिलाते है की झुठ मत बोलो । मैंने खुद तुम्हे एक लड़के के साथ देखा है।
सोनी चुप हो जाती है। वो अपने पिता जी को अपने प्यार और उस लड़के के बारे मे बताती है। उसके पिता को ये सुनकर बहुत बुरा लगता है। वो गुस्से मे उसको बोलते है। इस दिन के लिए तुझे पढ़या मैंने। तु इतनी बड़ी होगयी की अपने मां पापा के बारे में सोचा नहीं। उसके बाद सोनी रोती रोती अपने कमरे मे चली जाती है। उसकी माँ उसको बहुत समझती है की उस लड़के को भूल जा। मगर सोनी कहती है माँ वो लड़का बहुत अच्छा है मैं उसे बहुत प्यार करती हूँ
शादी भी उसी से करना चाहती हूँ माँ आप समझाओ न पापा को। माँ कहती है बेटी तु जानती है अभी तेरे पापा कुछ नहीं समझेगे। सोनी कुछ नही कहती वो रोते रोते सो जाती है। फिर सुबह होती है वो अपने पापा से बात करती है की वो उस लड़के से एक बार मिल ले। लेकिन उसके पिता मना कर देते है। सोनी फिर ऑफिस चली जाती है फिर अचानक एक दिन उसके पापा उसकी शादी किसी और लड़के से तय कर देते है। वो अपने माँ और पापा को बहुत समझती है लेकिन उसकी कोई बात नहीं सुनता। उसके पिता जी उसको बोलते है हम मर जायेगे फिर कर लेना तु शादी उसे। सोनी बोलती नहीं पापा ऐसा मत कहो। बेचारी सोनी वो शादी नहीं करती है वो अपने माता पिता से कहती है मैं शादी नहीं करुगी। पूरी जिंदगी। मैं अपनी नौकरी करुगी। उसकी बात सुनकर उसके पापा कहते है नहीं लड़की पूरी जिंदगी कुवारी नहीं रहती। तुझे शादी करनी पड़ेगी। ये समाज क्या कहेगा हमें। तु अगर शादी नहीं करगे तो मैं मर जाउंगा। ये सुनकर सोनी को न चाहते हुए भी अपने प्यार को भूलना पड़ा।और अपने माता पिता की इज़्ज़त और खुशी के लिए अपनी खुशियो को भूलना पड़ा। हमेशा लडकियों को हीअपने प्यार का बलिदान देना पड़ता है। क्यों माँ पापा समझ नहीं पाते उनके प्यार को। कब तक इस समाज के डर से जियगे।

© संगीता बिष्ट नेगी
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