दिल की बात...
अक्सर हम ज़माने के डर से , अपनो को खोने के डर से अपने उस दिल की बात को भूल जाते है जिसकी धड़कनों ने हमे जीवित रखा है। हर किसी की अपने दिल की बात होती है , जिसे हर कोई कह नहीं पाता , वो बातें एक आखिरी ख़त के तरह जाने कहा गुम जाती है।वो आखिरी ख़त जिसका कोई ठिकाना नहीं , कोई पता नहीं।ज़िन्दगी में कई लम्हे गुज़र जाते है।पहले अपनो की हर बात पे हामी भरते...