"सुधा दी - भाग-३
दिन से महीने और महीने से साल हो गया। देखते ही देखते मनु और विनोद के विवाह को एक वर्ष हो गया तो विनोद ने सालगिरह के दिन मनु को तैयार रहने को कहा और मुस्कुराते हुए कहा "आज शाम को हम तुम बाहर घूमने चलेंगे और खाना भी बाहर खा लेंगे।मनु खुश हो गई और फिर शाम को वो सज धज कर तैयार हो गई, उसने आज एक नीले रंग की साड़ी पहनी साथ में नीली चूड़ियां और माथे पर नीली बिंदी लगाई।
शाम को विनोद घर आए तो मनु को देखकर मुग्ध निहारने लगें, मनु शर्मा गई।
घर वालों को उन्होंने बता दिया कि वो आज बाहर खाना खाकर आएंगे।
सबसे विदा लेकर दोनों बाहर आ गए और विनोद ने अपनी मोटरसाइकिल निकाल ली। कुछ ही देर में दोनों एक पार्क में गये और बैठकर बातें करने लगे फिर विनोद ने कहा चलो अब कुछ खा लेते हैं और दोनों एक रेस्तरां में गए वो एक बहुत ही खूबसूरत रेस्तरां था मनु को वो रेस्तरां बहुत पसंद आया।
दोनों अभी खाना खा ही रहे थे कि मनु ने फिर एक फुसफुसाहट सुनीं....मेरी जान सिर्फ तुम्हारे पति के कारण गई है....... सुनकर मनु आश्चर्य में पड़ गई मगर खुद को सयंत कर बैठी रही।
खाना खाकर दोनों घर आ गए। इधर मनु असमंजस में थी कि आखिर...
शाम को विनोद घर आए तो मनु को देखकर मुग्ध निहारने लगें, मनु शर्मा गई।
घर वालों को उन्होंने बता दिया कि वो आज बाहर खाना खाकर आएंगे।
सबसे विदा लेकर दोनों बाहर आ गए और विनोद ने अपनी मोटरसाइकिल निकाल ली। कुछ ही देर में दोनों एक पार्क में गये और बैठकर बातें करने लगे फिर विनोद ने कहा चलो अब कुछ खा लेते हैं और दोनों एक रेस्तरां में गए वो एक बहुत ही खूबसूरत रेस्तरां था मनु को वो रेस्तरां बहुत पसंद आया।
दोनों अभी खाना खा ही रहे थे कि मनु ने फिर एक फुसफुसाहट सुनीं....मेरी जान सिर्फ तुम्हारे पति के कारण गई है....... सुनकर मनु आश्चर्य में पड़ गई मगर खुद को सयंत कर बैठी रही।
खाना खाकर दोनों घर आ गए। इधर मनु असमंजस में थी कि आखिर...