...

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दिल की बात 1
ऐसा नहीं है कि मुझे किसी से मदद नहीं मांगनी । बात यह है कि लोग मदद करने के बहाने मेरे साथ फिर से कुछ गलत न कर दें ।
क्या मेरी कोई गलती थी उसमें की मेने उस इंसान से मिलने से पहले ही उस इंसान से ठीक से बात करने से पहले ही उससे प्यार करने की ख्वाहिश रखी । क्या मेरी यही गलती थी की जब उसने पूछा मुझे की प्यार अगर करते हों तो प्रमाण दो और मेने उसे अपना तन मन सबकुछ उसपर न्योछावर कर दिया । हां शायद यही गुस्ताखी थी मेरी की मुझे प्यार चाहिए था और उसे कुछ और ।
और उसके बाद उसने क्या किया कुछ नहीं बस जाने के रास्ते बता दिए । मैं वैसी तो नही हूं, मेने तो प्यार मांगा और उसने घाव दिया जो अभी भी है सीने में मेरे । 3 साल हो चुके पर घाव भरा ही नहीं और शायद कभी भरेगा भी नहीं । मैं चाहती तो हूं की उसे मार डालू पर मेरे साथ इतना गलत करने वाला मैं खुद भी तो हूं । मैं खुद भी तो शामिल थी अपने बर्बादी में । परिणाम मिला है मुझे जो मेने चाहा नही था ।
© Divya