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अनकही मुलाकात...
मेरे द्वारा लिखित यह कहानी पूरी तरह से काल्पनिक है और किसी भी वास्तविक व्यक्ति, स्थान, या घटनाओं से मेल नहीं खाती है।यह कहानी पूर्णतः मौलिक व स्वरचित है। इसके सभी पात्र, घटनाएं व दृश्य की नकल करना सेक्शन 13, कॉपीराईट एक्ट 1957 के अंतर्गत चोरी माना जायेगा। इसमें वर्णित सभी पात्र और घटनाएँ लेखक की कल्पना से सृजित हैं और किसी भी वास्तविक व्यक्ति या स्थिति के प्रतिनिधि नहीं हैं।
किसी भी प्रकार की समानता केवल संयोग हो सकती है।
कृपया इस कहानी के किसी भी भाग की पुनरावृत्ति, वितरण, या प्रकाशन से पहले संबंधित स्वत्वाधिकार और अनुमतियों की जांच करें। यह कहानी किसी भी प्रकार के कॉपीराइट का उल्लंघन नहीं करती है और लेखक इसके सभी अधिकार सुरक्षित रखता है।

(- दृश्यो की कल्पना करे और कहानी का मजा ले । )

**दृश्य 1: कैफ़े** 
*अंदरूनी दृश्य – आरामदायक कैफ़े – देर दोपहर*

कैफ़े में हल्की धूप अंदर आ रही है। **माया** (25 वर्ष), एक मध्यमवर्गीय लड़की, अपने काम में व्यस्त है। उसकी मुस्कान बहुत प्यारी है, जिससे हर कोई उसकी ओर आकर्षित हो जाता है। वह विनम्र और मीठी है, लेकिन अपने आत्म-सम्मान और थोड़े से अभिमान से कभी समझौता नहीं करती। ग्राहकों से उसका स्वाभाविक व्यवहार बहुत ही कोमल और आदरपूर्ण है।

तभी एक काली, चमचमाती लग्ज़री कार कैफ़े के बाहर आकर रुकती है।

**दृश्य 2: अर्जुन का प्रवेश** 
दरवाज़े की घंटी बजती है और...