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जब वह बनी आईएएस -लाशिया बानो।।
जब नायिका सारी मुश्किल प्रेम और प्यार के चक्रव्यूह को तोड़ बहर आकर गाथा के मूल्य को समझ पाई तब प्रशनवाचक के हाथों से सबकुछ निकल चुका था, क्योंकि जब वो आई °एस के पद पर कार्यरत होकर अपनी पहली साइड पर जिनावर बाद में पोस्टिंग होकर आई तो उसे पहला ही केस हिला देने वाला मिला जो कि उसी फ़रिश्ते का था जिसने उसे एक प्रेम जाल में फंसाकर उसे इस्तेमाल तो किया था मगर बाद वही उसकी जीवन का सार भी बना क्योंकि उसने अन्तमै उसे रूपए देकर उसका और उसके बाबा का सपना पूरा करने का उपकार किया था। इसलिए वो उसे प्रेम करने लगी थी और वो केवल अपनी जिस्मानी ताल्लुकात रखने में माहिर था इसलिए वो उसे हर बार छल जाता था।। मगर वो आज भी कहीं न कहीं उसे चाह थी तो थी वरना उसका केस उसके हाथ में आना, उसके लिए अपनी नौकरी छोड़ वकालत लडना वो यह सब क्यों करती है।।
मगर जब उसे यह पता चला कि वो बहरूपिया है तो उसने उसके खिलाफ जाकर केस लड़ा और उसे कसूरवार साबित किया।।
जिसमें उसने लगभग २०वर्ष लग गाए और अंत में जब वो जच साहब द्वारा उसे फांसी की सजा मुदर करते हुए सुनती तो उसे लगता है कि आज एक अफसर बेटियां ने अपने पापा का अधूरा सपना पूरा कर लिया मगर वो अपने को भी माफ नहीं करेगी क्योंकि उसे अपने प्रेम पर प्रहार करना पड़ा उस सही राह दिखलाया के उसने उसका केस देखा, मुठभेड़ हुई वहां घायल देखा, उसकी आसटिंग भी खुद की , पूछ-ताछ भी नायिका ने की। कोर्ट हाजिरी में भी खुद लेकर गाई,बहस भी खुद की, और मृत्यु का दंड मिलने पर उसकी फंसी में भी मौजूद रहीं एक आई एस अफसर बनकर उसे सजा दिलवाकर वो खुद सदमे में चली गयी।।
#सच्चाई
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