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अंतरराष्ट्रीय महिला (दिखावे का एक ) दिवस...
तो भाई आ गया हम सब का चहीता लाडला दिवस
अंतरराष्ट्रीय महिला (दिखावे का एक ) दिवस...
हाल फिलहाल में दो ही चीजे ज्यादा फेमस है
एक तो"अनुपमा और दूसरा "जंगल में मंगल देख देख के अपने आप में वही जानवर वाली फील ला कर हर औरत में वही जंगल मंगल assume करना..!!
क्यों की औरत सामने आते ही उसमे भगवान" देवी दिखे ना दिखे पर उसके अतिआरक्षित दो अंग ढके हुए कपड़ो से भी दिख ही जाते है...(कुछ लोगो में inbuilt लेजर इंप्लांट होता है.. और ऐसे सज्जनों की अभेद्य नज़र को मेरा दंडवत प्रणाम है)
खामखा ही उर्फू बदनाम है.. डार्लिंग तेरे लिए...!!जो पब्लिक देखना चाहती बच्ची वही तो दिखा रही.. (झूट बोलूं तो जाकर reels में लाइक्स देख लो🧐)
वो अलग बात है लोग बादमें भूल जाते की सारी लड़कियां ऊरफू को रोल मॉडल नहीं मानती.. पर हम तो तारे जमीन पर है 🌝🌝हमारे लिए तो सारे बच्चे मन के सच्चे...!!! और सारी लड़कियां ऊर्फी की कॉपियां 🧐
ये मेरा देश है और "मेरी मां और बहन_बीवी छोड़ के बाकी सारी कैरेक्टरलेस है....!!
Exceptions are there 😌😌
(ये लाइन लिखना बहुत ज़रुरी है वरना आ जायेगे कमेंट में"" ऐसे कैसे बोल सकती हो हम तो मुंह बोली बहन की भी इज्जत करते है.. हा भाई मना नही कर रही पर इस में भी exceptions है)..

खैर ..8 मार्च तो औरतों का है ही नही वो उनकी progressive personality से ज्यादा दुखियारी personality के लिए फेमस है...
मतलब सोसायटी के इक्वेशन सेट है
औरत= """अनुपमा
(जिसकी जिंदगी में इस ब्रह्माण्ड की सारी परेशानी प्रवेश कर चुकी है)
वैसे सही भी तो है
Thansk to माता" एकता कपूर जिसने औरत की परिभाषा ही बदल दी
एक साइड" अनुपमा" तुलसी "पार्वती "प्रेरणा जैसी महिलाए परिभाषित कर दी वही दूसरी और "सविता "कविता" बबिता भाभी जैसी...!!
काश इसको किसी ने बचपन में रामायण _महाभारत दिखाया होता तो समझ आता की बुराई का प्रतीक माने जाने वाले "रावण के राज्य में भी "स्त्री कितनी सुरक्षित थी और भाभी का अर्थ "मां होता था जिसे लक्ष्मण ने आंख उठाकर भी जल्दी देखा नही था...!!
और एक थे हमारे "बजरंग बली जो अपनी "माता के लिए आग लगा दिए थे रावण राज में...!!!
और एक हमारे द्वारकाधीश जिन्होंने तो महाभारत ही कर दी थी एक स्त्री के लिए...!!
(शायद एकता मैया महाभारत भी direct की था 🧐🤔भूल गई लगता है बढ़ती उम्र के साथ)
पर क्या करे..!!
"सावित्री बाई फुले.. "राजमाता जीजाबाई.."कल्पना चावला.. "झांसी की रानी लक्ष्मी बाई जैसी महिलाए इनके सिलेबस में कभी पढ़ाई ही नहीं गई..!!
जो "घर भी चलाती थी और "तलवार भी घुमाती थी..जिसने "किताब भी उठाई और आसमान के पार भी "खुद को ले गई..!!
खैर
मैं भी क्या बोले जा रही..🧐
सब को दुखियारी औरत ही चाहिए🥲 ताकि 8 मार्च को छाती ठोक के बोल सके "देखो तुम्हारी हालत कितनी गई गुजरी है इसीलिए तो याद दिलाना पड़ता 8 मार्च को की औरत का भी दिवस मनाना जरूरी है..!!!
वैसे कायदे से देखा जाए
तो जरुरी भी नही है..लोग हर रोज महिला दिवस मनाते ही है..
अरे वो नही क्या...तेरी मां की...तेरी बहन की..तेरी मां का ...अरे मां...गई...
हा... exactly 💯 जो ब्लॉक स्पेस में मैं लिख नही रही और तुम मेरे मन की बात पढ़ पा रहे हो वही..
रोज ही तो महिला दिवस मनाते हो यार तो ये एक दिन की स्पेशल trearment काहे..
अब ये सरकार थोड़ी है जो रातोरात बदलने वाली है
एक दिन का so called महिला दिवस कौनसा देश में तरक्की लाने वाला है
कैंडल मार्च तो होना ही है... छाती पर नजर गड़ने ही वाली है.. छूने के बहाने ढूंढ ही निकालेंगे.. गालियों में उद्धार होना ही है..
और आजकल तो छेड़खानी का भी lite HD pro Max version आ गया है
Online harrasment
और सबसे बड़ी बात जो दोहरी भूमिका में जीने वाले लोग आज औरतों पर अच्छी अच्छी कविताएं बोलेंगे कल को वही बोलेंगे की हर जगह इन औरतों को womans card खेलना है
We are equal क्या औरत औरत लगा रखा है..
I wish is equality के चलते वो एक दिन सैनिटरी नैपकिन भी use कर के देख ले...
खैर तो भाई ऐसा है
ना रेप रुकने वाले है..ना हमारी तरफ उठती गंदी नजरे झुकने वाली है...
तो हो सके तो अगर दिल से आवाज आए तो ही womans day विष करो
Otherwise हम तो हर womans card खेलती ही है यही समझ के आज का दिन भी भूल जाओ
We are equal boss .. बस कोई गालियोका जेंडर चेंज कर दे...!!!

खैर
आज उनको भी शुभकामनाए जो परदे के पीछे लड़की बन कर यहां विराजते है🌝


© A.subhash

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