किमियागर भाग 1(d)
जिसने पिछले भाग नहीं पढ़े कृपया करके ना तो इस पर बेवजह लाइक करें और ना ही इसे पढ़े कुछ नहीं समझ आएगा....
"i know your time value"
उसने फैसला किया कि वह तब तक इन्तज़ार करेगा जब तक कि सूरज और थोड़ा ढल नहीं जाता, इसके बाद ही वह अपने रेवड़ को लेकर मैदानों को पार करेगा। अब से तीन दिन बाद वह उस दुकानदार की बेटी के साथ होगा।
वह पुस्तक पढ़ने लगा जो उसने खरीदी थी। पहले ही पन्ने पर उसमें एक अन्तिम संस्कार का वर्णन किया गया था। और जो लोग उस अन्तिम संस्कार में शामिल थे, उनके नामों का उच्चारण करना मुश्किल था। उसने सोचा, अगर वह कभी कोई पुस्तक लिखेगा, तो वह एक वक़्त में एक ही व्यक्ति का वर्णन करेगा ताकि पाठकों को ढेर सारे लोगों के नाम याद न रखना पड़े।
जब वह अन्ततः उस चीज़ पर ध्यान एकाग्र कर सका, जो वह पढ़ रहा था, तो उसे पुस्तक ज़्यादा बेहतर लगने लगी; उस दिन बर्फ गिर रही थी जब शव को दफनाने का वह संस्कार किया जा रहा था, और इससे उसे सर्दी का जो अहसास हुआ, वह उसको अच्छा लगा। वह अभी पढ़ ही रहा था कि तभी एक बूढ़ा आदमी आकर उसकी बगल में बैठ गया और उससे बातचीत करने की कोशिश करने लगा।
"वे लोग क्या कर रहे हैं?" बूढ़े ने चौक में मौजूद लोगों की ओर इशारा करते हुए पूछा।
"काम कर रहे हैं,” लड़के ने बूढ़े को यह अहसास दिलाने की गरज से कि वह अपनी पुस्तक पर ध्यान देना चाहता है, रूखे ढंग से जवाब दिया।
दरअसल, वह दुकानदार की बेटी के सामने अपनी भेड़ों का ऊन काटने के बारे में सोच रहा था, ताकि लड़की देख सके कि वह मुश्किल काम कर सकता है। इस दृश्य की कल्पना वह पहले भी कई बार कर चुका था; उस दृश्य में वह हर बार जब भी लड़की को समझाता था कि भेड़ का ऊन पीछे से आगे की ओर काटना होता है, तो लड़की मन्त्रमुग्ध होकर उसे देखने लगती थी। उसने कुछ अच्छे क़िस्से भी याद करने की कोशिश की, ताकि वह उन्हें ऊन काटते समय लड़की को सुना सके। इनमें से ज़्यादातर क़िस्से उसने पुस्तकों...
"i know your time value"
उसने फैसला किया कि वह तब तक इन्तज़ार करेगा जब तक कि सूरज और थोड़ा ढल नहीं जाता, इसके बाद ही वह अपने रेवड़ को लेकर मैदानों को पार करेगा। अब से तीन दिन बाद वह उस दुकानदार की बेटी के साथ होगा।
वह पुस्तक पढ़ने लगा जो उसने खरीदी थी। पहले ही पन्ने पर उसमें एक अन्तिम संस्कार का वर्णन किया गया था। और जो लोग उस अन्तिम संस्कार में शामिल थे, उनके नामों का उच्चारण करना मुश्किल था। उसने सोचा, अगर वह कभी कोई पुस्तक लिखेगा, तो वह एक वक़्त में एक ही व्यक्ति का वर्णन करेगा ताकि पाठकों को ढेर सारे लोगों के नाम याद न रखना पड़े।
जब वह अन्ततः उस चीज़ पर ध्यान एकाग्र कर सका, जो वह पढ़ रहा था, तो उसे पुस्तक ज़्यादा बेहतर लगने लगी; उस दिन बर्फ गिर रही थी जब शव को दफनाने का वह संस्कार किया जा रहा था, और इससे उसे सर्दी का जो अहसास हुआ, वह उसको अच्छा लगा। वह अभी पढ़ ही रहा था कि तभी एक बूढ़ा आदमी आकर उसकी बगल में बैठ गया और उससे बातचीत करने की कोशिश करने लगा।
"वे लोग क्या कर रहे हैं?" बूढ़े ने चौक में मौजूद लोगों की ओर इशारा करते हुए पूछा।
"काम कर रहे हैं,” लड़के ने बूढ़े को यह अहसास दिलाने की गरज से कि वह अपनी पुस्तक पर ध्यान देना चाहता है, रूखे ढंग से जवाब दिया।
दरअसल, वह दुकानदार की बेटी के सामने अपनी भेड़ों का ऊन काटने के बारे में सोच रहा था, ताकि लड़की देख सके कि वह मुश्किल काम कर सकता है। इस दृश्य की कल्पना वह पहले भी कई बार कर चुका था; उस दृश्य में वह हर बार जब भी लड़की को समझाता था कि भेड़ का ऊन पीछे से आगे की ओर काटना होता है, तो लड़की मन्त्रमुग्ध होकर उसे देखने लगती थी। उसने कुछ अच्छे क़िस्से भी याद करने की कोशिश की, ताकि वह उन्हें ऊन काटते समय लड़की को सुना सके। इनमें से ज़्यादातर क़िस्से उसने पुस्तकों...