...

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बेवफा तेरे प्यार में
मैं क्या कहूं किस कदर लूट चुका हूं बेवफ़ा तेरे प्यार में
अब इज़हार क्या करुंगा किसी से प्यार में
मोहब्बत तो तुझसे थी इसलिए आज भी इंतजार है
वरना तुझसे खुबसूरत जिस्म बिकते हैं बाजार में
काश खुदा कोई ऐसा करिश्मा कर गया होता
तूं पानी मैं मछली मुझसे जूदा होते ही मैं मर गया होता
कि अब रोज तड़प रहा हूं तेरी याद में भटक रहा हूं
तेरे शहर तेरी गली में वो बागों में फूलों की कली में
वो पड़ के निचे तेरे घर के दरवाजे के पीछे ये बहेती
हवाओं में गरज़ते बादल की घटावो में वो चांदनी रात में
सावन के रिमझिम बरसात में मन्दिर में मस्जिद में गीता में
कुरान में अल्लाह में भगवान में कि हर जगह तुझे ढूंढा तूं
कहीं ना मिली बस यही दुआ कर आया हूं मजार में
तूं जहां भी रहे जिसके भी साथ रहें बस ख़ुश रहे
क्या रखा है इस गांव के गंवार में
मोहब्बत तो तुझसे थी इसलिए आज भी इंतजार है
वरना तुझसे खुबसूरत जिस्म बिकते हैं बाजार में!!




© Rohit Kumar Gond