लघु कथा:' टूटे हुए खिलौने की कहानी'
बच्चों का खिलौनों से लगाव कोई नई बात नहीं है। हम सब ने अपना बचपन खिलौनों के साथ ही बिताया है। कई बार खिलौनों के साथ खेलते-खेलते बच्चे भावनात्मक रूप से भी उनसे जुड़ जाते हैं। लेकिन क्या कभी किसी खिलौने की भी कोई भावना हो सकती है? कहानियों की दुनिया में क्या संभव नहीं हो सकता। आइए, देखते हैं दुनिया को एक टूटे हुए खिलौने की नज़र से।
जुगनू आज बहुत खुश है, इतना खुश कि आज उसे न कोई दोस्त अच्छा लग रहा है और न ही घर का कोई सदस्य। उसे तो बस एक ही चीज़ दिखाई दे रही है - उसका खिलौना। वो खिलौना जो उसके पिताजी उसके लिए लाए हैं, वो खिलौना जो एक बंदूक है। जुगनू पूरे घर में "धायें धायें" करता घूम रहा है। वह कभी किसी को गोलियों से भूनता है, कभी किसी और को। उसने घर के...
जुगनू आज बहुत खुश है, इतना खुश कि आज उसे न कोई दोस्त अच्छा लग रहा है और न ही घर का कोई सदस्य। उसे तो बस एक ही चीज़ दिखाई दे रही है - उसका खिलौना। वो खिलौना जो उसके पिताजी उसके लिए लाए हैं, वो खिलौना जो एक बंदूक है। जुगनू पूरे घर में "धायें धायें" करता घूम रहा है। वह कभी किसी को गोलियों से भूनता है, कभी किसी और को। उसने घर के...