एक ग्रन्थ जो वो जो एक अनजखोजी गाथा का है,वो जो है भी नहीं भी।।
इस गाथा में कोई भी पात्र वास्तविक नहीं है मगर यह गाथा जरूर वास्तविक है क्योंकि कहीं ना कहीं हम भी यह गाथा है या फिर मैं यह यो कहूं कि हम ही वो नायिका है,जिसकी यात्रा यह गद्यश्रोत माध्यम के द्वारा इस तरह से इस कथा के गाथा के ग्रन्थ के माध्यम से श्रुताओ एवं दृशालूओ तक पहुंचने का महत्वपूर्ण योगदान मुझे अर्थात एक असम्भव चरित्र के व्यक्ति को हुआ और ना ही मुझे बल्कि आप को भी क्योंकि
कोई भी प्राणी अपने आप को इस गाथा के आधीन नहीं कर सकता, बल्कि सब इसके अधीन है।।
जिसमें वह लड़की भी हम और वो ग्रहक भी हम ही हैं और उसका साथी भी हम ही हैं,उस लड़की कि जुड़ावा बहन भी हम ही हैं, क्यों आइए जानते हैं _(क्योंकि 🤔)
हम
ना नारी_ना पुरूष 👁️
ना जानवर है,
ना गे।।
"हम एक प्रश्न है _@समाज है।।"
नोट -यह समाज है इसलिए यह गाथा जो थम नहीं सकती क्योंकि वो ईश्वर जिसका परिणाम यह गाथा है जो कि एक असम्भव सा प्रश्न है जिसमें नायिका ने अपने प्रेम को अभिव्यक्त करने के लिए एक असम्भव प्रश्न का प्रयोग किया जिसमें उसे एक असम्भव परिमाण की उपलब्धि हासिल हुई इसके सामात होने से पहले ही नियिका ने स्वयं के द्वारा ही इसके दस्तावेज अर्थात अपने दृश्य प्रेम के इस एक सिद्ध गृन्थ के दस्तावेज, बिना लेखक की अनुमति से अग्नि देवता को अर्पित कर दिए ताकि वह इस गाथा के गृन्थ को निर्विघ्न सिद्ध घोषित कर सके।।
ऐसा लगता है जैसे उसे आगे की यात्रा नहीं करनी थी इसलिए उसने शिव होकर इस गाथा के
प्रमाणित साछ्य अग्नि देवता को अर्पित कर दिए और स्वयं एक असम्भव प्रश्न सामाज बन इस गाथा का यह दुर्लभ गृन्थ अर्थात यह गाथा को एक असंभव व अस्मित गृन्थ सीमित कर दिया।।
यह गाथा एक गृन्थ से उत्पन्न हुई है जो कि स्वयं में ही एक असम्भव प्रश्न है जिसे समस्त शब्दों एक अवारा कुत्ता या फिर जगंली जानवर या फिर वेयशी या फिर इससे भी ज्यादा घनघोर अल्फाज़ में पिरूह तो बोला जा सकता कि
एक अनजखोजी में एक असम्भव प्रेम मिलन में उपस्थित होने पर हम इसे एक समाज असंभव प्रमाणित साछय घोषित कर सकते हैं।।
वह और आगे नहीं जाना चाह रही थी इसलिए उसने आंख मूंद कर इस गाथा के समस्त दस्तावेज अग्नि में स्वाहा कर दिए और स्वयं खुद
एक असंभव पात्र यानी इस गाथा के न्यायाधीश...
कोई भी प्राणी अपने आप को इस गाथा के आधीन नहीं कर सकता, बल्कि सब इसके अधीन है।।
जिसमें वह लड़की भी हम और वो ग्रहक भी हम ही हैं और उसका साथी भी हम ही हैं,उस लड़की कि जुड़ावा बहन भी हम ही हैं, क्यों आइए जानते हैं _(क्योंकि 🤔)
हम
ना नारी_ना पुरूष 👁️
ना जानवर है,
ना गे।।
"हम एक प्रश्न है _@समाज है।।"
नोट -यह समाज है इसलिए यह गाथा जो थम नहीं सकती क्योंकि वो ईश्वर जिसका परिणाम यह गाथा है जो कि एक असम्भव सा प्रश्न है जिसमें नायिका ने अपने प्रेम को अभिव्यक्त करने के लिए एक असम्भव प्रश्न का प्रयोग किया जिसमें उसे एक असम्भव परिमाण की उपलब्धि हासिल हुई इसके सामात होने से पहले ही नियिका ने स्वयं के द्वारा ही इसके दस्तावेज अर्थात अपने दृश्य प्रेम के इस एक सिद्ध गृन्थ के दस्तावेज, बिना लेखक की अनुमति से अग्नि देवता को अर्पित कर दिए ताकि वह इस गाथा के गृन्थ को निर्विघ्न सिद्ध घोषित कर सके।।
ऐसा लगता है जैसे उसे आगे की यात्रा नहीं करनी थी इसलिए उसने शिव होकर इस गाथा के
प्रमाणित साछ्य अग्नि देवता को अर्पित कर दिए और स्वयं एक असम्भव प्रश्न सामाज बन इस गाथा का यह दुर्लभ गृन्थ अर्थात यह गाथा को एक असंभव व अस्मित गृन्थ सीमित कर दिया।।
यह गाथा एक गृन्थ से उत्पन्न हुई है जो कि स्वयं में ही एक असम्भव प्रश्न है जिसे समस्त शब्दों एक अवारा कुत्ता या फिर जगंली जानवर या फिर वेयशी या फिर इससे भी ज्यादा घनघोर अल्फाज़ में पिरूह तो बोला जा सकता कि
एक अनजखोजी में एक असम्भव प्रेम मिलन में उपस्थित होने पर हम इसे एक समाज असंभव प्रमाणित साछय घोषित कर सकते हैं।।
वह और आगे नहीं जाना चाह रही थी इसलिए उसने आंख मूंद कर इस गाथा के समस्त दस्तावेज अग्नि में स्वाहा कर दिए और स्वयं खुद
एक असंभव पात्र यानी इस गाथा के न्यायाधीश...