पहाड़ों की मासूम लड़की
#inncocent
यह पहाड़ों में रहने वाली लड़की सूजी की कहानी है।
सूजी की आंख सुबह पांच बजे के करीब खुलती है। आंखे मलते हुए उसे किसी की याद आती है, और वो मुस्कुराती है। ये याद उसके प्रेमी की है। वो मन में कहती है :" पग्लू कहीं के! आ गए ना फिर आंख खुलते ही याद", मेरा बच्चा। फिर वो फोन अपनी तरफ खिस्काती हैे ( प्रेमी को मेसेज करने के लिए )।
मगर तभी एक आवाज़ आती है, बहू आज चाय मत बनाना कॉफ़ी का मन है। और सूजी को एक झटके के साथ पूरी याद आ जाती है। उसकी आंख में आंसू आ जाता है। वो अभी ससुराल में है। फिर वो कहती है, ठीक है मॉम।
सारा दिन रोज़ाना की तरह बीत जाता है। सासू मां कहती है, चलो बहू तुम भी सो जाओ : मेरे बेटे को ज्यादा याद ना करना, अलगे महीने उसको छुट्टी मिल जाएगी काम से । सूजी लेट जाती है। और फोन में से एक तस्वीर निकालती है और घुट घुट कर रोने लगती है और कहती है : मेरे पग्लू , कहां हो तुम। इन्हीं आंसुओ के साथ सूजी को नींद पड़ जाती है।
यह पहाड़ों में रहने वाली लड़की सूजी की कहानी है।
सूजी की आंख सुबह पांच बजे के करीब खुलती है। आंखे मलते हुए उसे किसी की याद आती है, और वो मुस्कुराती है। ये याद उसके प्रेमी की है। वो मन में कहती है :" पग्लू कहीं के! आ गए ना फिर आंख खुलते ही याद", मेरा बच्चा। फिर वो फोन अपनी तरफ खिस्काती हैे ( प्रेमी को मेसेज करने के लिए )।
मगर तभी एक आवाज़ आती है, बहू आज चाय मत बनाना कॉफ़ी का मन है। और सूजी को एक झटके के साथ पूरी याद आ जाती है। उसकी आंख में आंसू आ जाता है। वो अभी ससुराल में है। फिर वो कहती है, ठीक है मॉम।
सारा दिन रोज़ाना की तरह बीत जाता है। सासू मां कहती है, चलो बहू तुम भी सो जाओ : मेरे बेटे को ज्यादा याद ना करना, अलगे महीने उसको छुट्टी मिल जाएगी काम से । सूजी लेट जाती है। और फोन में से एक तस्वीर निकालती है और घुट घुट कर रोने लगती है और कहती है : मेरे पग्लू , कहां हो तुम। इन्हीं आंसुओ के साथ सूजी को नींद पड़ जाती है।