पलायन -क्यों। कारण और निवारण पृष्ठ-4
श्रम -सम्मान से कहीं अधिक महत्वपूर्ण श्रम से शर्म न करना है।
यहा एक सक्सेस स्टोरी का उल्लेख करना चाहूंगा। वर्ष 1993 में मेरे बस्ती जनपद में तैनाती के दौरान एक सहकर्मी जो मेरे ही समकक्ष पद पर तैनात थे। उनका भी ताल्लुक ग्रामीण परिवेश से था। दोनों लोगों का वेतन लगभग समान था। परंतु उनके पास गांव से मनीआर्डर आता था, खास तौर पर जब उन्हें एल आई सी की किस्ते जमा करनी होती थी। परंतु मुझे अक्सर गांव को मनीआर्डर भेजना पड़ता था।
मैंने सोचा की वे काफी बड़े किसान होंगे। परंतु पता चला की...
यहा एक सक्सेस स्टोरी का उल्लेख करना चाहूंगा। वर्ष 1993 में मेरे बस्ती जनपद में तैनाती के दौरान एक सहकर्मी जो मेरे ही समकक्ष पद पर तैनात थे। उनका भी ताल्लुक ग्रामीण परिवेश से था। दोनों लोगों का वेतन लगभग समान था। परंतु उनके पास गांव से मनीआर्डर आता था, खास तौर पर जब उन्हें एल आई सी की किस्ते जमा करनी होती थी। परंतु मुझे अक्सर गांव को मनीआर्डर भेजना पड़ता था।
मैंने सोचा की वे काफी बड़े किसान होंगे। परंतु पता चला की...