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स्कूल में
बचपन में जब मैं स्कूल पढ़ने जाया करता था । हमारी स्कूल का समय 10:00 बजे का था। मैं स्कूल पहुंच कर प्रार्थना स्थल पर अपनी आंखें मीच कर व दोनों हाथ जोड़कर प्रार्थना में बैठ जाता था। मास्टर डंडे लेकर हमारे आसपास घूम रहे होते और हम प्रार्थना को बोझ समझ कर शीघ्र प्रार्थना खत्म होने की प्रतीक्षा कर रहे होते। कभी-कभी अपनी आंखें बीच प्रार्थना में खोल भी लिया करते हैं। फिर मास्टर हमारे पास आकर आंखें बंद करने का इशारे करते। करीबन आधा घंटे की प्रार्थना होने बाद हम अपनी अपनी कक्षाओं में बैठ जाते। इसके कुछ क्षण बाद हमारी कक्षा का रजिस्टर लिए मास्टर पढ़ने आते।
मैं...