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दादाजी की हथेली
जब हम छोटे थे दादा जी का हाथ थाम कर हर रोज शाम को निकल पढ़ते थे , दादा जी हमें बस स्टॉप की ओर ले जाया करते थे.
ना जाने क्यों आज जब हम वही खड़े हैं और हमें वो पल याद आया,
"दादू हम कहा जा रहे हैं?
हम जा रहे हैं शर्मा जी की दुकान.
लेकिन क्यों? वहां तो चॉकलेट और समोसा नहीं मिलता.
मेरी प्यारी परी को चॉकलेट चाहिए.
आये गुरूजी बैठये, आज गुड़िया रानी भी आयी हैं गुड़िया रानी को कौन सी चॉकलेट पसंद हैं ये सब रखा लो आप "
(मै दादाजी से लिपट कर उनके हाथो के पीछे छुपा गयी और जब तक दादाजी ने नहीं कहाँ चॉकलेट लेने के लिए मैने नहीं लिया. )
गुरूजी आप की परी तो चॉकलेट नहीं ले रही हैं, दादाजी मुस्कुराये और मैंने (डरते हुए हाथ बढ़या और ले लिया , और दादाजी फिर कुछ सामान दुकानदार से मांगने मे व्यस्त होगये और मै उनके हाथो को...