अवयव एक वरदान
अक्सर बचपन में हम परिवार, दोस्त,लोगों के साथ अच्छे से रहना, उनका आदर- सम्मान करना, उनकी मदद करना,और जो हमारे अधिक निकट हो (करीबी हो) उनसे मिलना, उनके लिए कुछ भेंट तथा कुछ ऐसा बनाने की कोशिश करना जो उन्हें पसंद आए।
यही नहीं हम अपने लिए भी अच्छा करने का और स्वयं को जो पसंद हो वो सब करने का प्रयास करते रहते।
कारण, शायद हमारा मन, विचार और हृदय ही इतना निर्मल, प्रेमित, सत्य और निश्छल! रहते हैं । परंतु, जैसे-जैसे हम बड़े होते जाते हैं हमारे आसपास जग और दुनिया में हो रहे विचारों, अपराधों को देख मन कचोटता है; सयंम और धैर्य की बहुत परीक्षा लेता है। और धीरे-धीरे इस संसार को देख मन दुःखी होता है। इसे जितना अपने सही विचारों से राह दिखाने की,...
यही नहीं हम अपने लिए भी अच्छा करने का और स्वयं को जो पसंद हो वो सब करने का प्रयास करते रहते।
कारण, शायद हमारा मन, विचार और हृदय ही इतना निर्मल, प्रेमित, सत्य और निश्छल! रहते हैं । परंतु, जैसे-जैसे हम बड़े होते जाते हैं हमारे आसपास जग और दुनिया में हो रहे विचारों, अपराधों को देख मन कचोटता है; सयंम और धैर्य की बहुत परीक्षा लेता है। और धीरे-धीरे इस संसार को देख मन दुःखी होता है। इसे जितना अपने सही विचारों से राह दिखाने की,...