...

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मेरे मन के साथी
जानती हूँ मैं
बस कुछ ही लम्हों का ही है
ये साथ हमारा,
तुम्हारा यूं मेरे जीवन मे आना
और इसकदर जुड जाना,
मानो जैसे तुम्हारा साथ रहना
एक सुकून सा देता है,
इससे पहले भी कइ आए और गए हैं,
इस क्रम मे मन निर्मोह सा हो गया,
मगर न जाने क्यों
तुमसे जुडा रहना चाहता है मन, तुमको खोना नहीं चाहता है मन!
अब तुमको बाँधकर सदा केलिए तो नहीं रख सकती,
मगर तुम्हारे साथ बिताए हर एक यादों को, अपने मन में सहेज कर तो रख सकती हूँ,
तुम्हारे बिछडने के बाद
तुम्हारे यादों के खुशबूओं के सहारे
जीवन का बगीया महकाते हुए सफर तय करती रहूंगी।
मेरे मन के साथी तुम हमेशा खुश रहो आबाद रहो।
© RanjitaLucky26

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