धर्म.. या विषमता..
एक साल पहले तक मैं कुछ लिखती नहीं थी.. बस सामान्य जीवन जी रही थी, और बहुत खुश थी।
फिर जैसे जैसे लिखना शुरू किया.. देखा कि धर्म के नाम पर दिमाग़ में कितना कचरा भरा हुआ है लोगों में .. स्वयं ईश्वर का धरती पर अवतरण हो तो.. तो वह भी दुखी हो जाए कि मानवता के धर्म जो ईश्वर ने दिया.. उसके अलावा सभी धर्मों का पालन हो रहा है...
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फिर जैसे जैसे लिखना शुरू किया.. देखा कि धर्म के नाम पर दिमाग़ में कितना कचरा भरा हुआ है लोगों में .. स्वयं ईश्वर का धरती पर अवतरण हो तो.. तो वह भी दुखी हो जाए कि मानवता के धर्म जो ईश्वर ने दिया.. उसके अलावा सभी धर्मों का पालन हो रहा है...
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