...

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जाओ आज़ाद किया
चाहती हूं कुछ ऐसा लिखूं जिसमें तेरे दिए सारे जख्म बयां हो जाए।
इतना लिखूं, ऐसे लिखूं के पढ़ने वाले को तुझसे नफरत हो जाए।
तेरी दी वो सारी मोहब्बत लिख डालूं
और उस मोहब्बत को आहिस्ते आहिस्ते खत्म करने की वो सारी रस्में भी। मेरे हर उस रात की तड़पन भी लिखूं और मेरी हर मुस्कुराहट के पीछे छुपे दर्द भी।
मेरी नजरों, मेरे दिल-दिमाग, धड़कन से लेकर सांसों तक सिर्फ और सिर्फ तुम्हारे इस झूठे इश्क की वो सारी दास्तान लिख डालूं। अपनी ज़िंदगी के वो बीते साल लिख डालूं जिसको तुमने हमेशा के लिए झुठला दिया। लाखों बार लिखूं और पढूं ताकि तुमसे इतनी नफरत हो जाए के सिर्फ और सिर्फ बद्दुआ ही निकले ज़हन से मेरे।
फिर सोचती हूं कि कभी तो तुम सच्ची मोहब्बत किए होगे मुझसे!
यूहीं तो कोई किसी को बर्बाद करने के लिए अपना वक्त नहीं देता, है ना?
जाओ छोड़ दिया तुम्हे मेरी जान...
मेरी खामोशी ही तुम्हारी सज़ा भी होगी अब और माफ़ी भी।
जाओ आज़ाद किया तुम्हे, मेरी कहानियों और किस्सों से भी।।
तुम्हे तुम्हारी खुशी मुबारक और मुझे मेरे हिस्से की बदनसीबी...
© sweetestsweetu