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भीतर की नकारात्मकता को कैसे हटाएं?
भीतर की नकारात्मकता को कैसे हटाएं?

आजकल नकारात्मकता को दूर करने के लिए अनेको लोगों द्वारा तरह तरह से दावे पेश किये जाते है। आइये जानतें हैं कि लोगों द्वारा किये गये ये दावे कितने असरदार हैं।

दरअसल, सच तो ये है कि नकारात्मकता भीतर या अन्दर है ही नहीं। भीतर की चीज़ जिसे देखा नहीं जा सकता हो फ़िर उसे हटाने का सवाल ही पैदा नहीं होता भीतर तो आत्मा है, इच्छा है, और ना जाने कितनी चीज़ें ऐसे ही भरी पड़ी है। इच्छा का अंत नहीं होता सिर्फ स्वरुप बदलता रहता है। आत्मा की अतृप्तता तथा इच्छाओ का पूरा ना होना ही नकारात्मकता को जन्म देता है। जब हम अपने भीतर से इच्छा को नहीं शांत कर सकते हैं या इन इच्छाओ को नहीं हटा सकते तो फ़िर नकारात्मकता को कैसे हटा सकतें है।

एक उदाहरण लें

जिनको कोरोना हुआ सब बाहर फैले वायरस से ही हुआ जिनको कोरोना नहीं हुआ उनका भीतर से ही कोरोना नकारात्मक (negative) आया। अब क्या ये कहोगे की इसके नकारात्मक कोरोना को हटाकर पॉजिटिव कैसे करें? नहीं ना....

इसका मतलब यह भी हुआ कि सभी नकारात्मकता बुरी नहीं होतीं कुछ अच्छी भी होतीं हैं।

रही बात नकारात्मकता को हटाने की तो नकारात्मकता का स्वरुप व्यक्तिगत होता है। जो तुम्हारे लिए नकारात्मक है वो मेरे लिए सकारात्मक हो सकता है इसका उल्टा भी उतना ही सही है।

अगर नकारात्मकता को समाज के परिप्रेक्ष्य में देखे तो समाज को शुरू में हर चीज़ जो उससे अलग होती हैं गलत या नकारात्मक ही नज़र आती है भले ही वो समय के साथ आगे चल कर सकारात्मकता का रूप ले लें। ऐसे अनेको उदाहरण आपको सभी समाज में मिल जायेंगे।


नकारात्मकता बाहर है।

बाहर की चीज़ों को देखकर ही हमारे अन्दर इच्छाएं पैदा होती है और इच्छाओं का ये प्रवृति है कि अगर इच्छा पूरी हुई तो सफलता या ख़ुशियाँ मिलती हैं, इच्छा पूरी नहीं हुई तो क्रोध, निराशा, ईर्ष्या एवं जलन पैदा होती है। ये सब चीज़ें प्रतिस्पर्धा के कारण किसी इंसान में दूसरे बाहरी इंसान को देखकर या सोचकर ही उत्पन्न होतीं है और सोच का या ज्यादार चीज़ों का निर्धारण करने में आंतरिक (genetic or biological) तथा बाहरी (environment) दोनों कारक सहयोगी हैं।

अतः सिर्फ समस्या पर केंद्रित ना होकर उसके स्रोत पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है। केवल एक चीज़ को बदलोगे तो समस्या बनी ही रहेगी यहाँ जरूरत एक समन्वित विचारधारा अपनाने की है।

नोट : यह लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं। आपकी प्रतिक्रिया सादर आमंत्रित हैं। 🙏🏻

© Gaurav J "वैरागी"
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