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अनेक रूप में साहयक मगर नहीं कर पाएगी एक असम्भव प्रेम गाथा अनन्त को समाप्त ।
अनेक रूप में देखी गई मगर फिर भी समाप्त नहीं कर पाएगी एक असम्भव प्रेम गाथा को क्योंकि जिस दिन यह गाथा समाप्त हुई उस दिन श्रृष्टि का अन्त निशिचित है क्योंकि प्रेम समाप्त होने श्रृष्टि का अन्त तय है जब ऐसा होगा तो वो कलियुग को लाएगा जहा सब आपस मे ही योद्ध जहां सब आपस में ही भिड़कर कलियुग का जन्म ले लेंगे यह गाथा काभी समाप्त नहीं हो पाएगी और ऐसे अन्त आने तक श्रृष्टि में लोग भ्रमण करते रहेंगे ऐसा मुख्य न्यायाधीश द्वारा कहा गया है।। मगर ऐसा कहा जाता है कि यदि कलियुग द्वारा सामापन हो तो कुछ हद जीवन मिलने का उत्साह रहता है मगर यदि आप एक दैवकाल में प्राण त्याग रहे तो कुछ हद
मार्ग आसान हो जाता है।। सुवरी और सांड चाहे जितना कर ले मगर उनसे ज्यादा मलीन और असुध
कोई जानवर।। यह गाथा कह रही है अनेक रूप में है साहायक मगर नहीं कर पाएगी एक असम्भव प्रेम गाथा अनन्त को समाप्त।।