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डॉ केशव बलिराम हेडगेवार जी
एक बालक में देशभक्ति का जुनून कुछ इस कदर था कि उन्हें स्कूली शिक्षा के दौरान राष्ट्रगीत 'वंदे मातरम' गाए जाने के कारण स्कूल से निकाल दिया गया। स्कूल से निकाले जाने के बाद हेडगेवार जी को घर वालों ने पढ़ाई पूरी करने के लिए यवतमाल तथा बाद में पुणे भेज दिया। हाई स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद हिंदू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीए मुंजे ने उन्हें कोलकाता शहर मेडिकल की पढ़ाई के लिए भेज दिया। डॉक्टरी पढ़ाई के दौरान ही डॉक्टर हेडगेवार देश की क्रांतिकारी संस्था "अनुशीलन समिति" से जुड़ गए और 1915 में नागपुर लौटकर कांग्रेस की राजनीति में सक्रिय हो गए। कुछ ही समय बाद उन्हें विदर्भ प्रांतीय कांग्रेस सचिव बनाया गया।

महाराष्ट्र के नागपुर शहर में एक गरीब ब्राह्मण परिवार बलराम पंत हेडगेवार के घर 1 अप्रैल 1889 को डॉ केशव बलिराम हेडगेवार ने जन्म लिया, इनकी माता का नाम रेवतीबाई था। माता-पिता ने अपने इस प्यारे पुत्र का नाम 'केशव' रखा। बचपन से ही उन्हें घर में काफी लाड-प्यार मिला।‌ केशव के दो बड़े भाई भी थे, जिनमें से एक महादेव और दूसरे सीताराम थे। पिता बलिराम‌पंत हेडगेवार वैदिक कर्मकांड (पंडिताई) करके परिवार का भरण पोषण करते थे, इसके साथ ही वे भारतीय दर्शन और वेद शास्त्रों के अच्छे ज्ञाता भी थे।

हेडगेवार को जब स्कूल भेजा गया तो देशभक्ति गीत वंदे मातरम गाए जाने के कारण उन्हें उस स्कूल से निकाल दिया गया। इसके बाद यवतमाल तथा पुणे भेजा गया। मैट्रिक पास करने के बाद उन्हें हिंदू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कोलकाता मेडिकल की पढ़ाई के लिए भेज...