अपने व्यक्तित्व की परख
"अपने व्यक्तित्व की परख जरूरी - जीवनमुक्ती (सतयुग) एवम् सुखद स्थिति का यही तरीका/ज्ञान है। "
"समय, स्थान और परिस्थिति की अनिवार्य भूमिका का एक उदाहरण तथा उचित संयोग की व्यापक अवधारणा"
उचित मूल्यांकन के परिप्रेक्ष्य में उचित स्थान और उचित लोगों की अनिवार्य भूमिका होती है। यह अनिवार्य भूमिका मुख्यताः दो कारणों से है। इसमें समानता का मनोवैज्ञानिक नियम स्वत: काम करता है। दूसरा समाज के द्वारा बनाई बनाई गई नैतिकता काम करती है। विषय को स्पष्ट करने के लिए हम उदाहरण (घटना) का उल्लेख कर रहे हैं। प्रस्तुत घटना बहुत पुरानी प्रतीत होती है। हो सकता है कि यह वृतांत ठीक हुबहू ऐसी ही घाटा होगा जैसा इसमें वर्णन है। यह भी हो सकता है कि यह इस तरह की घटना घटी तो होगी लेकिन किसी दूसरे ही परिदृश्य में घटी होगी। खैर। जो भी हो। इसका अंतर्निहित मतलब यही है कि समय, स्थान, परिस्थिति और लोगों की गुणवत्ता जीवन के मूल्यांकन के तौर तरीके को बदल दिया करते हैं। जिस विषय वस्तु की वर्तमान में अतिशय कीमत है। लेकिन अतीत में एक समय ऐसा भी था जब उसकी कीमत बिल्कुल ना के बराबर हुआ करती थी। जिस विषय वस्तु की कीमत वर्तमान में ना के बराबर हो। भविष्य में यह भी हो सकता है कि काल देश और परिस्थिति के अनुसार उसकी कीमत बहुत अधिक हो जाए। यह अक्सर होता आया है। समाज के मापदंड बदलते रहते हैं। बदलते रहे हैं और बदलते रहेंगे। क्योंकि यह सब समय, स्थान और परिस्थिति पर निर्भर होता है।
वृत्तांत कहता है कि एक बार ऐसा हुआ कि पिता ने अपने बेटे से कहा। "तुमने बहुत अच्छे नंबरों से अपनी पढ़ाई तो पूरी कर ली है। अब मैं जानता हूं कि तुम नौकरी पाने के लिए प्रयास कर रहे हो। उससे पहले मैं तुमको यह कार उपहार स्वरुप में भेंट करना चाहता हूँ। यह कार मैंने कई साल पहले खरीदी थी। यह बहुत पुरानी और पुराने मॉडल की हो गई है। इसे कार डीलर के पास ले जाओ और उन्हें बताओ कि तुम इसे बेचना चाहते हो। पता करो कि वे तुम्हें कितनी कीमत देने का प्रस्ताव रखते हैं। उसके बाद मुझे आकर बताना।
पिता के कहे अनुसार बेटा कार को डीलर के पास ले गया। पिता के पास वापिस लौटा और बोला। "उन्होंने इसके लिए 60,000 रूपए की पेशकश की है। क्योंकि कार बहुत पुरानी है और पुराने मॉडल वाली है। इसलिए उसने इसके बहुत कम दाम लगाए हैं।" पिता ने कहा कि "ठीक है। कोई बात नहीं। अब इस कार को कबाड़ी की दुकान पर ले जाओ। बेटा कबाड़ी की दुकान पर कार को ले गया। पिता के पास लौटा और बोला। कबाड़ी की दुकान वाले ने कार की कीमत सिर्फ 6000 रूपए देने की पेशकश की है। क्योंकि कार बहुत पुरानी और पुराने मॉडल की है। इसलिए कम कीमत...
"समय, स्थान और परिस्थिति की अनिवार्य भूमिका का एक उदाहरण तथा उचित संयोग की व्यापक अवधारणा"
उचित मूल्यांकन के परिप्रेक्ष्य में उचित स्थान और उचित लोगों की अनिवार्य भूमिका होती है। यह अनिवार्य भूमिका मुख्यताः दो कारणों से है। इसमें समानता का मनोवैज्ञानिक नियम स्वत: काम करता है। दूसरा समाज के द्वारा बनाई बनाई गई नैतिकता काम करती है। विषय को स्पष्ट करने के लिए हम उदाहरण (घटना) का उल्लेख कर रहे हैं। प्रस्तुत घटना बहुत पुरानी प्रतीत होती है। हो सकता है कि यह वृतांत ठीक हुबहू ऐसी ही घाटा होगा जैसा इसमें वर्णन है। यह भी हो सकता है कि यह इस तरह की घटना घटी तो होगी लेकिन किसी दूसरे ही परिदृश्य में घटी होगी। खैर। जो भी हो। इसका अंतर्निहित मतलब यही है कि समय, स्थान, परिस्थिति और लोगों की गुणवत्ता जीवन के मूल्यांकन के तौर तरीके को बदल दिया करते हैं। जिस विषय वस्तु की वर्तमान में अतिशय कीमत है। लेकिन अतीत में एक समय ऐसा भी था जब उसकी कीमत बिल्कुल ना के बराबर हुआ करती थी। जिस विषय वस्तु की कीमत वर्तमान में ना के बराबर हो। भविष्य में यह भी हो सकता है कि काल देश और परिस्थिति के अनुसार उसकी कीमत बहुत अधिक हो जाए। यह अक्सर होता आया है। समाज के मापदंड बदलते रहते हैं। बदलते रहे हैं और बदलते रहेंगे। क्योंकि यह सब समय, स्थान और परिस्थिति पर निर्भर होता है।
वृत्तांत कहता है कि एक बार ऐसा हुआ कि पिता ने अपने बेटे से कहा। "तुमने बहुत अच्छे नंबरों से अपनी पढ़ाई तो पूरी कर ली है। अब मैं जानता हूं कि तुम नौकरी पाने के लिए प्रयास कर रहे हो। उससे पहले मैं तुमको यह कार उपहार स्वरुप में भेंट करना चाहता हूँ। यह कार मैंने कई साल पहले खरीदी थी। यह बहुत पुरानी और पुराने मॉडल की हो गई है। इसे कार डीलर के पास ले जाओ और उन्हें बताओ कि तुम इसे बेचना चाहते हो। पता करो कि वे तुम्हें कितनी कीमत देने का प्रस्ताव रखते हैं। उसके बाद मुझे आकर बताना।
पिता के कहे अनुसार बेटा कार को डीलर के पास ले गया। पिता के पास वापिस लौटा और बोला। "उन्होंने इसके लिए 60,000 रूपए की पेशकश की है। क्योंकि कार बहुत पुरानी है और पुराने मॉडल वाली है। इसलिए उसने इसके बहुत कम दाम लगाए हैं।" पिता ने कहा कि "ठीक है। कोई बात नहीं। अब इस कार को कबाड़ी की दुकान पर ले जाओ। बेटा कबाड़ी की दुकान पर कार को ले गया। पिता के पास लौटा और बोला। कबाड़ी की दुकान वाले ने कार की कीमत सिर्फ 6000 रूपए देने की पेशकश की है। क्योंकि कार बहुत पुरानी और पुराने मॉडल की है। इसलिए कम कीमत...