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जहाँ जंगली जानवर इंसानो को खरीदकर खाते है ( भाग - 13 )
सभी जानवर अब परेशान हो चुके थे और मन ही मन सोचते है की ये हमने क्या किया, हमको ये पहले क्यों नही समझ आया, की पिंजरे मे सिर्फ तेरह इंसान कैद थे । हम जानवर काफी जयादा थे । हम मे से बस तेरह जानवर ही इनका शिकार कर सकते थे ।

हम इतने मूर्ख कैसे हो सकते है की महाराज की बातों मे आकर हमने गाँव जाकर इंसानो का शिकार किया जिसके कारण हमारे सर पर मौत का साया मंण्डरा रहा है ।

बाघ :- महाराज! आखिरकार आपने चल ही दी अपनी चाल ।
आपने हमे ये सब कुछ पहले ही क्यों नही याद दिला दिया ।

शेर :- मैंने कोई चाल नही चली मंत्री जैसा की मे पहले भी बोलता था और अब फिर बोल रहा हूँ । इस जंगल के जानवर मूर्ख थे और मूर्ख ही रहेंगे । यहां तक की तुम भी ।

बाघ भी अब अपने-आप पर शर्मिंदगी महसूस...